भारतीय परंपरा में चम्मच की जगह हांथों से खाना, जमीन पर बैठ कर खाना और देर रात की जगह जल्दी खाने जैसी कई आदतें ऐसी थी जो अब नहीं रहीं। अब तो हर घर में डाइनिंग टेबल हैं, टीवी के सामने बैठ कर खाने की आदतें और देर रात तक जागना और खाना ही नियम बन चुका है। लाइफस्टाइल में आए ये बदलाव ही कई बीमारियों का कारण बन चुके हैं।
प्रचीन समय में जो कुछ भी नियम और कायदे बने थे भले ही उन्हें किसी न किसी विश्वास से जोड़ा गया लेकिन उसके वैज्ञानिक महत्व को भी नकारा नहीं जा सकता है। यही कारण है कि प्राचीन कुछ आदतें वैज्ञानिक दृष्टीकोण से भी स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर मानी जाती हैं। आधुनिकता के आगे अब इन चीजों से लोग दूर होते जा रहे हैं और तमाम बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, लेकिन अगर कुछ पुरानी आदतें फिर से अपना ली जाएं तो बहुत सी बीमारियां ही नहीं दूर हो जाएंगी बल्कि इससे स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। तो आइए जानते हैं कि वह कौन सी आदते हैं जिन्हें हमें अपने जीवन में फिर अपनानी चाहिए।
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पुरातन आदतों में छुपा है सेहत का राज, जानिए इनके फायदे
खाने के लिए फर्श पर बैठे : खाना खाने का सबसे स्वास्थ्यप्रद तरीका यह है कि खाना खाने के लिए फर्श पर बैठें और क्रॉस-लेग करके बैठें। ऐसे बैठना सुखासन योग की तरह होता है। इस तरह से बैठना ऐसे आसान के समान है जो पेट की मांसपेशियों को खोलता है और व्यायाम करता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है और शरीर में लचीलापन आता है। इस तरह से खाना खाना पाचन के लिए भी बेहतर है और सूजन और अम्लता की समस्याओं को कम कर सकता है।
मिट्टी के बर्तन में खाना बनाना : मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से कैंसर जैसी बीमारियों को दूर किया जा सकता है, क्योंकि मिट्टी के बर्तनों की क्षारीय प्रकृति भोजन की अम्लीय प्रकृति को संतुलित करती है और कैंसर की कोशिकाएं एक क्षारीय वातावरण में विकसित नहीं होती हैं। मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से खाने में कई अन्य खनिज भी शामिल हो जाते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।
रात में जल्दी खाना खाना : प्राचीन काल में शाम होते ही लोग खाना खा लिया करते थे। देर से खाना खाना उनकी परंपरा में सही नहीं माना जाता था। लेकिन मौजूदा समय में लोग देर रात ही खाना खाते हैं जिससे खाए गए भोजन को पचने का अधिक समय नहीं मिलता और एसिडिटी, नींद न आना या गैस और अन्य समस्याएं भी होने लगती हैं। यही नहीं वेट बढ़ने का भी मुख्य कारण भी यही होता है। आज डॉक्टर भी लोगों को 7 बजे तक डिनर कर लेने की सलाह देते हैं। जबकि प्राचीन काल में भी लोग इसी नियम को अपनाते रहे थे।
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हाथों से खाना : आज तो लोग पराठा भी चम्मच से ही खाने लगे हैं जबकि प्राचीन काल में हाथ से खाने का नियम था। आयुर्वेद के अनुसा अपने हाथों से खाने से आप एक योगिक स्थिति बनाते हैं जहां आपकी सभी उंगलियां और अंगूठा एक साथ आते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हाथों से खाने से आपका मस्तिष्क भोजन का अनुभव करता है और आप उतना ही खाते हैं जितनी जरूरत होती है। इससे न केवल आपका वेट मैनेज रहता है बल्कि दिमाग भी संतुष्ट होता है।
खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए : जब हम खड़े होकर पीते हैं तो हमारे शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे हमारे जोड़ों में अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा होने लगता हैं। इससे भविष्य में गठिया हो सकता है।
तो ये कुछ प्राचीन भारतीय आदतें आपको अपने जीवन में फिर से अपनाने की जरूरत है। ऐसा कर के आप निरोग भी रहेंगें और कई बीमारियों का खुद ब खुद इलाज हो जाएगा।
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