- धनतेरस के दिन भारत में मनाया जाता है आयुर्देव दिवस।
- साल 2016 में भारत में हुई थी आयुर्वेद दिवस की शुरुआत।
- भगवान धन्वंतरि को समर्पित है ये दिन, जानें इसका महत्व।
भारत में साल 2016 से आयुर्वेद दिवस (Ayurveda Day) मनाया जा रहा है। यह हर वर्ष धनतेरस के मौके पर मनाया जाता है और इसीलिए आज 02 नवंबर को यह मनाया जा रहा है। यह दिन हमारे दैनिक जीवन में आयुर्वेद के महत्व पर जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा यह दिन आयुर्वेद की ताकत और इसके उपचार सिद्धांतों की तरफ ध्यान केंद्रित करने के लिए भी मनाया जाता है। केंद्र सरकार आयुर्वेद की क्षमता का इस्तेमाल कर बीमारियों को कम करना चाहती है।
धनतेरस के दिन क्यों मनाया जाता है
धनतेरस का दिन भगवान धन्वंतरि को समर्पित है, वो धन के साथ- साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा का देवता भी माना जाता है। धनतेरस परिवार के सदस्यों की भलाई और शुभता के लिए मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि को सभी रोगों का निवारण करने वाला माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि, जो देवताओं के चिकित्सक हैं, समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों के सामने प्रकट हुए थे। उन्होंने अपने हाथों में अमृत, अमरता का अमृत और आयुर्वेद धारण किया था। देव और असुर दोनों अमर होने के लिए अमृत चाहते थे। असुरों से इस अमृत की रक्षा गरुड़ ने की थी।
आयुर्वेद का महत्व
भारत में आयुर्वेद प्राचीन काल से प्रचलित है। माना जाता है कि जब दवाएं आने से पहले मनुष्य रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेद का सहारा ही लेता था। आयुर्वेद में कई बीमारियों का निवारण बताया गया है।
आयुर्वेद की ताकत
आयुर्वेद को बहुत शक्तिशाली बताया गया है और यही कारण है कि भारतीयों के बीच काढ़े को बहुत महत्व है। कोरोना वायरस के आने पर भी लोगों को काढ़ा पीने की सलाह दी गई थी। काढ़ा एक आयुर्वेदिक मिश्रण है जिसे विभिन्न जड़ी-बूटियों और मसालों को कुछ मिनट तक पानी में उबालकर बनाया जाता है। यह इम्यूनिटी बढ़ाने का भी काम करता है।
योग है जरूरी
आयुर्वेद के अनुसार शारीरिक तनाव दूर करने और मन को शांत करने के लिए योग जरूरी है। रोजाना ध्यान करने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के तनावों को कम करने में मदद मिल सकती है। रोजाना 10 मिनट ध्यान लगाने से मन शांत होता है।