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Dhanteras Aarti & Puja Mantra: मां लक्ष्मी के साथ करें भगवान धन्वंतरिजी की पूजा, जानिए मंत्र, आरती और स्तो‍त्र

Updated Oct 18, 2022 | 12:42 IST

Dhanteras Dhanvantri Dev Ki Aarti & Puja Mantra Lyrics In Hindi: धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ धन के देवता कुबेर, धन्वंतरि और यम देवता की पूजा की जाती हैं। धनतेरस के दिन सभी लोग धन्वंतरि देवता से सदैव प्रसन्न रहने, स्वस्थ रहने और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।

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Dhanteras puja mantra
मुख्य बातें
  • धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
  • इस साल धनतेरस 2 नवंबर को है।
  • धनतेरस के ही दिन से दीपावली की शुरुआत हो जाती है।

Dhanteras 2021  Dhanvantri Dev Ki Aarti & Puja Mantra Lyrics In Hindi: भारत के हर कोने में दीपावली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस साल यह 4 नवंबर को मनाई जाएगी। दीपावली के 1 या 2 दिन पहले धनतेरस की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन से दीपावली की शुरुआत हो जाती है।  

शास्त्र के अनुसार इसी दिन भगवान धन्वंतरि सागर मंथन के दौरान हाथ में कलश लिए उत्पन्न हुए थे। धर्म के अनुसार यदि भगवान धन्वंतरि की पूजा धनतेरस के दिन श्रद्धा पूर्वक की जाए तो व्यक्ति सदैव स्वस्थ निरोग रह सकता हैं। यदि इस धनतेरस आप मां लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा श्रद्धा पूर्वक करना चाहते हैं, तो यहां आप धनतेरस का पूजा मंत्र और आरती शुद्ध-शुद्ध देखकर पढ़ सकते हैं।

 धनतेरस का पूजा मंत्र (Dhanteras Puja Mantra)
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

Dhanteras 2021 Puja Vidhi, Muhurat

भगवान धन्वंतरि का स्तो‍त्र (OM Jai Dhanvantri Dev)

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।

सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥

कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।

वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥

Dhanteras 2021 Puja Vidhi, Muhurat, Mantra

धनतेरस की आरती (Dhanvantri puja aarti)

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।। जय धन्वं।।

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।

देवासुर के संकट आकर दूर किए।।

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।

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