- अध्ययन से पता चला है कि रक्त प्रकार ए, बी, या एबी वाले लोगों को कोरोना से संक्रमित होने की संभावना हो सकती है।
- ओ ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों में खून के थक्कों के विकसित होने का खतरा कम होता है।
- ओ और बी ब्लड ग्रुप वाले लोगों के समूह के 61 फीसदी को इसी तरह के उपचार की जरूरत है।
कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद से, पहले से मौजूदा चिकित्सा स्थितियों, मोटापे और बुढ़ापे सहित कई कारकों को कोविड-19 संक्रमण के उच्च जोखिमों से जोड़ा गया है। लेकिन हाल के एक अध्ययन के मुताबिक, रक्त के प्रकार भी कोविड-19 संक्रमण के जोखिमों का निर्धारण कर सकते हैं। कई वैज्ञानिक और चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञ कोविड-19 और विभिन्न रक्त समूहों के बीच के संबंधों का अध्ययन कर रहे हैं और उन्हें समझने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले साल नवंबर में हुआ एक अध्ययन नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें दावा किया गया है कि रक्त का प्रकार कोरोना वायरस के जोखिम को प्रभावित कर सकता है।
अध्ययन के मुताबिक, अमेरिका के न्यूयॉर्क में अस्पतालों में भर्ती 14,000 लोगों की जांच की गई और पाया गया कि ओ-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप के अलावा अन्य सभी ब्लड ग्रुप वाले लोगों को वायरस से संक्रमित होने का खतरा अधिक था। इससे पहले नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुए एक अन्य अध्ययन में यह पाया गया था कि ओ-पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वालों में कोरोना के संक्रमण का जोखिम और उसकी वजह से अंगों की जटिलता कम थी।
ए ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना का खतरा अधिक
कोविड-19 और ब्लड ग्रुप के संबंधों को लेकर कनाडा में भी हाल ही में एक अध्ययन किया गया था, जिसमें गंभीर कोरोना संक्रमण वाले 95 मरीजों को शामिल किया गया था। इन सभी मरीजों में से 84 फीसदी का ब्लड ग्रुप ए था और उन्हें वेंटिलेशन की जरूरत पड़ गई थी। तुलनात्मक रूप से, ओ और बी ब्लड ग्रुप वाले लोगों के समूह के 61 फीसदी को इसी तरह के उपचार की जरूरत थी। इससे शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि अन्य ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में ए ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना के संक्रण का खतरा अधिक होता है। इस अध्ययन को ब्लड एडवांसेस में हाल ही में प्रकाशित किया गया था।
किस ब्लड ग्रुप में संक्रमण का खतरा सबसे कम होता है?
हाल ही में किए गए अध्ययन और पहले किए गए शोधों के मुताबिक, ओ ब्लड ग्रुप वाले लोग कोविड-19 संक्रमण के कम जोखिम में हैं और इस बीमारी की चपेट में कम हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विभिन्न ब्लड ग्रुप हमारी संचार प्रणाली पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं और शरीर में रक्त के थक्के के तरीके को बदलते हैं। फ्रांस के एक मेडिकल रिसर्च बॉडी के मुताबिक, ओ ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों में खून के थक्कों के विकसित होने का खतरा कम होता है।