नई दिल्ली : देशभर में कोरोना वायरसर संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच मास्क को महामारी से बचाव में बेहद कारगर माना जा रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मास्क को 'सुरक्षा कवच' करार देते हुए कहा कि मास्क ने महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बचाई। यह न केवल उस व्यक्ति की रक्षा करता है, जो इसे पहनता है, बल्कि उस व्यक्ति के संपर्क में आए अन्य लोगों को संक्रमण से बचाता है।
इस संबंध में अमेरिका के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों का रिसर्च भी गौर करने वाला है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कई परत वाला सही तरह से तैयार मास्क संक्रमण के प्रसार को 96 फीसदी तक कम कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सही तरीके से कई परत और अच्छी कसावट के साथ बनाया गया मास्क इसे पहनने वाले व्यक्ति से निकलने वाले 84 प्रतिशत कणों को रोक देता है।
वायरस के प्रसार को प्रभावित कर सकता है मास्क
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर दो लोग इस तरह के मास्क पहनते हैं, वे संक्रमण के प्रसार को 96 फीसदी तक रोकने में सक्षम हो सकते हैं। एयरोसोल साइंस एंड टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, मास्क कितना बेहतर है, यह इस पर निर्भर करता है कि इसे बनाने में किस तरह की सामग्री इस्तेमाल की गई है, इसकी कसावट किस तरह की है। अगर सबकुछ मानंदडों पर उतरता है तो यह वायरस के प्रसार को कम कर सकता है।
इस अध्ययन में अलग-अलग किस्म के पदार्थों से अत्यंत छोटे कणों के निकलने के प्रभाव को समझने की कोशिश की गई। एक शोधकर्ता के मुताबिक, अतिसूक्ष्म कण हवा में कई घंटों और कई दिनों तक रह सकता है। यह हवा के प्रवाह पर भी निर्भर करता है। ऐसे में यदि किसी कमरे में हवा की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है तो छोटे कण उस कमरे में लंबे समय तक रह सकते हैं।
एक अन्य शोध में भी कोविड-19 के प्रसार को रोकने में सोशल डिस्टेंसिंग से अधिक कारगर मास्क को बताया गया है। फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, हवा से होने वाले प्रसार को रोकने के लिए छह फुट की दूरी उस वक्त बहुत जरूरी नहीं रह जाती है, अगर आपने मास्क लगाया है और यह मास्क समुचित मानदंडों का तैयार कर बनाया गया और लगाने वाले ने इसे सही तरीके से लगाया हो।