नई दिल्ली : कोरोना वायस संक्रमण पीड़ित लोगों को कई तरह से प्रभावित कर रहा है। किसी को तेज बुखार तो किसी को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में लालिमा, सिरदर्द और डायरिया जैसी समस्याएं भी पेश आ रही हैं। कई बार मरीजों की हालत इतनी बिगड़ जाती है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता और वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखना पड़ता है। लेकिन कुछ लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं के बराबर होते हैं।
अब एक रिसर्च में सामने आया है कि जिन लोगों में कोविड-19 के लक्षण कम होते हैं, उनमें कई महीनों तक इसके कुछ लक्षण बरकरार रह सकते हैं, जिनमें स्वाद और सूंघने की क्षमता का चला जाना और थकान भी शामिल है। स्वीडन की डेंडेरिड हॉस्पिटल और कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन के मुताबिक, कोविड-19 मामूली लक्षणों से संक्रमित हुए लोगों के काम और उनकी सामाजिक व निजी जिंदगी को प्रभावित कर रहा है।
हर 10 में से एक शख्स प्रभावित
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोविड-19 से मामूली रूप से प्रभावित होने वाले हर 10 में से एक मरीज में तकरीबन आठ महीने बाद इस संक्रामक रोग के लक्षण मौजूद रहते हैं। ऐसे दीर्घकालिक लक्षणों में स्वाद व सूंघने की क्षमता का ह्रास और थकान जैसी बातें प्रमुखता से शामिल हैं। यूं तो कई मरीजों में लंबे समय तक सांस लेने में तकलीफ की समस्या भी बनी रहती है, लेकिन स्वाद व सूंघने की क्षमता सबसे अधिक प्रभावित होती है।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के बीच यह जानकारी बेहद अहम जान पड़ती है। रिसर्चर्स ने कोविड-19 के संक्रमण से उबर चुके लोगों पर अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। अध्ययन में कोरोना वायरस से संक्रमित होकर ठीक हो चुके लोगों को शामिल किया गया था। शोध के नतीजों से यह भी पता चलता है कि कोविड-19 की चपेट में आने के बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है।