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सुस्‍त शरीर और बेचैन मन हैं बीमारियों के बड़े कारण, योग में है इनका निवारण : योग गुरु सुरक्षित गोस्वामी

Updated Jun 20, 2018 | 14:40 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

योग है क्या, इसे जानने के लिए टाइम्स नाउ डिजिटल की अकृता रेयार ने योग गुरु डॉक्टर सुरक्षित गोस्वामी से कुछ रैपिड फायर सवाल किए जिनका योग गुरु ने बेबाकी से जवाब दिया।

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योग गुरु डॉक्टर सुरक्षित गोस्वामी

योग आज मानव जीवन शैली का एक हिस्सा बन गया है। भारत ही नहीं दुनिया भर के देशों में योग बड़े स्तर पर किया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इसके अलग-अलग रूप भी देखने को मिले हैं। आखिर योग है क्या, इसे जानने के लिए टाइम्स नाउ डिजिटल की अकृता रेयार ने योग गुरु डॉक्टर सुरक्षित गोस्वामी से कुछ रैपिड फायर सवाल किए जिनका योग गुरु ने बेबाकी से जवाब दिया।

अकृता रेयार- पूरी दुनिया योग को अपने-अपने नजरिए से देखती है, कोई इसे डांस के अलग-अलग रूपों से जोड़ता है तो कोई इसे मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक स्तर से जोड़ने के लिए एक शारीरिक गतिविधि के रूप में देखता है। आखिर में योग है क्या?

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी- योग अपने आप से जुड़ने की प्रक्रिया है। हम जो हैं, हमारा जो स्वरुप है, जो आत्मा है, उस तक कैसे पहुंचे, कैसे जानें। ये इसलिए जानना जरूरी है ताकि हम हर समय अपने आनंद में, मस्ती में, खुशी में, प्रसन्नता में जीवन को जिएं, जब तक हम अपने स्वरूप को नहीं जानेंगे, तब तक हम आनंद में नहीं रह सकते। इस अवस्था तक पहुंचने के लिए अपनी बॉडी को स्वीच करना होगा, अपने मन को स्वीच करना होगा, हमारा मन जो सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-पराजय में झूलता रहता है, उसमें बैलेंस लाना होगा। बुद्धि में जो संशय बने रहते हैं, उन्हें बेहतर करना होगा। ईगो को फ्यूरिफाई करना होगा। ये सारा प्रोसेस उस योग तक पहुंचने के लिए है। बॉडी को स्वीच करने के लिए आसन बताए गए हैं, जो शरीर को आगे-पीछे, झुकाते हुए, मोड़ते हुए, हम अपनी बॉडी एनर्जी को बैलेंस करते हैं, उसे इंप्रूव करते हैं, ताकि ये शरीर लंबे समय तक हमारे साथ स्वस्थ रहता हुआ जिए। अगर हमारी उम्र 100 साल है तो हम 100 साल फिट रहें। ये योग में आसनों का प्रभाव है, कोशिश है। यदि व्यक्ति आसन करेगा तो फिट रहेगा। सिर्फ बॉडी ही फिट रहे, इतना ही केवल योग नहीं है, बल्कि यहां से योग की शुरुआत हो रही है। योग इससे आगे है। मन जो आगे-पीछे, भूत-वर्तमान में दौड़ रहा है, दुखी हो रहा है, उस मन को वर्तमान में लेकर लाएं। जब तक हम वर्तमान में नहीं आएंगे, तब तक मन को शांत नहीं कर सकते। इसलिए मन के जितने भी मेंटल हेल्थ की बात हो रही है, मन सबका बिखरा हुआ है, उस मेंटल हेल्थ को बेहतर करने के लिए योग में प्राणायाम है, जिससे हम मन को और बेहतर से बेहतर कर सकते हैं। मन ही नहीं हमें इन्द्रियों पर भी ध्यान देना होगा, बुद्धि पर ध्यान देना होगा। इस तरह ये सब योग तक पहुंचने के टूल्स हैं, योग नहीं हैं। योग है 'मैं कौन हूं जानने की प्रक्रिया'।

अकृता रेयार- क्या आप मानते हैं कि योग के नाम पर बहुत सारी चीजों को चला दिया जा रहा है जो कि योग नहीं हैं?

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी- हर कोई अपने ब्रांड को स्टैब्लिश करना चाहता है। योग का नाम देने से उसमें सत्यता आ जाती है। योग को कैश किया जा रहा है। यह केवल धन कमाने का एक जरिया है। यूथ एक्टिविटी से जुड़ता है, जैसे डांस और जुंबा के साथ योग जोड़ने से उसे लगता है कि उसने कुछ किया है। योग करने से हमारा शरीर हमेशा स्वस्थ बना रहता है।

अकृता रेयार- योग के तीन प्रमुख फायदे क्या हैं?

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी- यह करने का पहले फायदा यह है कि हमारा शरीर हमेशा स्वस्थ बना रहता है। शरीर में कोई बीमारी है जिसके बारे में हमें पता है और शरीर के जिस रोग के बारे में हम अनजान हैं, वे दोनों ठीक हो जाएंगे। दूसरा हमारा मन हमेशा शांत रहेगा। जीवन में किसी भी परिस्थिति में, सुख हो या दुख, लाभ हो या हानि, जय हो या पराजय, कितनी भी विपरीत परिस्थिति में हम अपना मेंटल बैलेंस को नहीं खोएंगे। नंबर तीन- हमारे अंदर प्रेम का भाव बढ़ेगा, जिससे हमारा व्यवहार बेहतर हो जाएगा। जब हमारी बॉडी फिट हो जाएगी, मेंटल बैलेंस सही हो जाएगा और वाणी अच्छी हो जाएगी तो हम बेहतर लाइफ जीने लगेंगे।

अकृता रेयार- आज के दैनिक जीवन में हम तनाव पर कैसे काबू पा सकते हैं?

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी- यदि हम इतना करें कि दिन में हम जब भी कोई भी काम कर रहे हों तो अपना ध्यान सांस पर ले आएं। हमारा मन सांस पर आते ही शांत होने लगेगा। कई बार हमारा मन कहीं होता है और तन कहीं होता है, ये ही तनाव है। जो चाहते हैं, वो हो नहीं रहा है, या जो पास है, वो भाग रहा है, बिछड़ने का डर लग रहा है या खोने का डर लग रहा है तो तनाव है। मन भागेगा तो तनाव लेकर आएगा। इसीलिए सांस पर मेडिटेशन करें, दिन में जब भी याद आए, तब करें, ऐसा करके हम अपने माइंड को रिचार्ज करते हैं। बिल्कुल स्ट्रेस फ्री हो जाएंगे।

अकृता रेयार- क्या योग से मन को शांत एवं शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है?

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी- चेहरे पर मुस्कराहट रखें। योग में दो चीजें कही गई हैं कि शरीर पतला होना चाहिए और चेहरे पर मुस्कराहट होनी चाहिए। शरीर अगर बिखरा है, बीमार है, मोटा है और कमजोर हो गया है या पतला हो गया है तो योग बड़ी हेल्प करता है। अगर मोटा है तो पतला करने में, पतला है तो मजबूत करने में। किसी भी तरह की बीमारी हो, चाहे वो हार्ट की हो, डिप्रेशन हो, डेली की बिजी लाइफस्टाइल से जुड़ी हो, तो हम बेसिक तकनीक आजमाकर इन्हें ठीक कर सकते हैं। योग बीमारी ठीक करता है और उन्हें आने भी नहीं देता। ये फिट और अनफिट सभी के लिए जरूरी है। योग बीमारी को भी ठीक करता है और जो नहीं हैं उन्हें आने भी नहीं देता।

अकृता रेयार- आज के जमाने में हम बहुत ज्यादा बैठकर या शारीरिक गतिविधि किए बिना काम करते हैं, क्या आप ऐसे पांच आसान तरीके बता सकते हैं जिन्हें बिना अधिक परिश्रम के किया जा सकता है?

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी- जो ब्रेकफास्ट करके ऑफिस आ जाते हैं और 1 से 2 के बीच में लंच करते हैं तो वो अगर बीच में 5 मिनट के लिए कपालभाति, ताड़ासन, अर्धचक्रासन और उत्तानपादासन कर लें और बैठे-बैठे गर्दन की एक्सरसाइज कर लें, हाथों का मूवमेंट कर लें। शरीर को हिला-डुला लें। शरीर जितना हिलेगा-डुलेगा उतना फिट रहेगा। दिन भर में हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करने से शरीर में हल्कापन बना रहता है। इससे शरीर थकेगा नहीं। अक्सर होता है कि शरीर बैठा रहता है और मन दौड़ता रहता है और इस तरह दोनों बीमार हो जाते हैं।

अकृता रेयार- आज कल योग को लेकर चर्चा चल रही है कि यह हिंदुत्व से जुड़ा है और मुस्लिम देशों को इससे थोड़ी समस्या है?

डॉ. सुरक्षित गोस्वामी- यदि हम हिंदू लोग सूरज को प्रणाम करते हैं तो सूरज हिंदुत्व नहीं हो गया, चंद्रमा को प्रणाम करते हैं तो वो हिंदुत्व थोड़े हो गया। हम सबको प्रणाम करते हैं। दरअसल हिंदू पौराणिक कथाओं में हम सबको प्रणाम करते हैं। योग मानव शरीर के लिए है। जैसे सूरज सबके लिए है, हवा सबके लिए है। ऐसे ही योग सबके शरीर के लिए है। हिंदू बाद में बना है, मुस्लिम बाद में बना है। जहां शरीर है वहां योग है। ये वैदिक काल से चला आ रहा है। तब धर्म नहीं थे, सिर्फ सनातन धर्म हुआ करता था। योग शांति के लिए है, और शांति हिंदू भी चाहेगा, मुसलमान भी चाहेगा और ईसाई भी चाहेगा तो योग को धर्म से जोड़ना हमारी अज्ञानता है।