- भारत में हृदय रोग से मरने वाले 45 फीसदी लोगों की उम्र 40-69 वर्ष के बीच है।
- ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) प्रॉसेस के जरिए धमनियों में घाव और प्लेक की स्थिति को आसानी से पहचाना जा सकता है।
- हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के मरीजों पर ज्यादा जोखिम होता है।
नई दिल्ली: भारत में हृदय रोग के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। हालात यह है कि देश में हर एक लाख लोगों में 272 लोग की मौत हृदय रोग संबंधी बीमारियों (Coronary artery disease) से हो रही है। जो कि दुनिया के औसत 235 से कहीं ज्यादा है। और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में अकेले भारत में हृदय रोग से मरने वाले 45 फीसदी लोगों की उम्र 40-69 वर्ष के बीच थी। इन परिस्थितियों में विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते इलाज और बीमारी का पता लगाना और नियंत्रित जीवन शैली जीवन को बचा सकती है।
ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज बने बड़ी वजह
गुरूग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ तरलोचन सिंह क्लेर के अनुसार Coronary artery disease भारत में मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में इस बीमारी की वजह से प्रति 100,000 लोगों में से 272 लोगों को मौत हो जाती है। जो ग्लोबल औसत प्रति 100,000 पर 235 से कहीं अधिक है। बीमारी की वजह से मरीज के हृदय और अन्य अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह में बाधा (अवरोध) उत्पन्न हो जाती है। इसकी एक बड़ी वजह हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी पहले से मौजूद बीमारियों के कारण plauqe (वसा का जमाव) और ब्लॉकेज उत्पन्न कर देते हैं।
ओसीटी प्रॉसेस हो सकता है कारगर
डॉ क्लेर के अनुसार इन परिस्थितियों में रोगी के लिए समय रहते उसकी जांच और बीमारी के संबंध में सटीक जानकारी मिलना बेहद जरूरी है। इस काम में ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) प्रॉसेस कारगर साबित हो सकता है। इसके जरिए रक्त वाहिकाओं के 3डी इमेज प्रदान करने में सहायता मिलती है, और घाव के सही आकलन में मदद करती है। जिसके आधार पर मरीज के इलाज पर फैसला लेना आसान हो जाता है। साथ ही समय रहते बीमारी की गंभीरत का पता लगने से ओसीटी ओपन-हार्ट सर्जरी जैसे बड़े ऑपरेशन की जरूरत कम हो जाती है।
जीवन शैली में बदलाव भी बेहद जरूरी
इसके अलावा हृदय रोग से पीड़ित मरीज अपनी जीवनशैली में बदलाव कर भी हृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसके लिए वजन को अनियंत्रित नहीं होने देना, प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट, सप्ताह में 5 दिन व्यायाम करना, कम मात्रा में शराब का सेवन करना, धूम्रपान छोड़ना जैसे कदम हैं। अगर आपको मधुमेह है, तो जीवनशैली में बदलाव और दवाओं से इसे नियंत्रण में रखें। यानी अपने एचबीए1सी को 6-7 के बीच रखें। यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर है, तो बीपी को 130/80 के स्तर से नीचे रखना जरूरी है।