मुंबई. पूरी दुनिया में आज 30 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह आंकड़ा और भी चैंकाने वाला है कि चीन और अमेरिका जैसे विकसित देशों के बाद सबसे अधिक मानसिक समस्या से पीड़ित लोग भारत में हैं। इसके पीछे ऑफिस प्रेशर के अलावा आपसी रिश्तों में आ रही गर्माहट भी है।
मनोवैज्ञानिक डॉ. अनुनीत सभरवाल ने बताया दूसरी बीमारियों की तरह मानसिक रोग के लक्षण या तो जल्दी नजर नहीं आते। इसके अलावा नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। आज यह देखना होगा कि आपके किसी अपने में अचानक दुखी, उदास, उम्मीद हारने, समाज से मुंह चुराने, नींद और भूख की समस्या जैसे लक्षण तो नहीं है।
इन लक्षण पर तुरंत ध्यान दें वरना कोई अपना मनोरोगी हो सकता है। ऐसे में आपसी रिश्तों की गर्माहट पर ध्यान दें। पति-पत्नी, यार-दोस्त, भाई-बंधु, सखी-सहेली, माता-पिता जैसे बुनियादी रिश्तों में खास ध्यान देने की जरूरत है।
सोशल मीडिया से होती है बातचीत
डॉ. सुजीत पॉल, के मुताबिक- तरक्की की भागदौड़ में हम पहले समाज, फिर परिवार और अब तो मानो खुद से दूर हुए जा रहे हैं। आपसी बातचीत का जरिया सोशल मीडिया हो गया है। इसमें पिछड़ना जितना मानसिक कष्ट देता है उतना ही करियर में आसमान छूते लोगों की उम्मीदें खतरनाक हैं। पति-पत्नी दोनों कामकाजी हुए तो एक दूसरे को कम समय देते हैं। ऐसे में डायलॉग की गुंजाइश नहीं होती है!
शेयर करें ये समस्या
यह सच है कि भारत में मनोचिकित्सकों की काफी कमी है। इससे कड़वा सच यह है कि लोग शर्म के कारण विशेषज्ञ के पास नहीं जाते और यदि पहुंचते भी हैं तो बहुत देर हो जाती है। पर इस समस्या का रचनात्मक समाधान रिश्तों की गर्माहट में है। इसलिए रिश्ता जो भी हो लोग इस मामले में समाज से डरे बिना अपनी समस्या शेयर करें।
एक दूसरे को हर मौके पर उपहार देना ही काफी नहीं हैं। अपनों को अपना कीमत समय दें वरना ऊपर वाला न करे आपको कोई अपना मानसिक रोगी हो गया तो इसकी भारी कीमत चुकानी होगी।
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