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Omicron Covid Variant: अगर डेल्टा और ओमिक्रोन का हुआ मिक्स म्यूटेशन तो दूसरी लहर से ज़्यादा हो सकता है खतरनाक

Updated Dec 21, 2021 | 16:59 IST

Omicron Covid Variant: ओमिक्रॉन को लेकर तमाम दावों के बीच जानकारों का मानना है कि अगर डेल्टा और ओमिक्रोन का हुआ मिक्स म्यूटेशन हुआ तो यह दूसरी लहर के मुकाबले ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

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Omicron Covid Variant,ओमिक्रॉन कोविड वैरिएंट (फोटो साभार-iStock)
मुख्य बातें
  • वायरस में म्यूटेशन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है
  • डेल्टा वैरिएंट और ओमिक्रोन का मिक्स म्यूटेशन हो सकता है खतरनाक
  • हर दिन ओमिक्रोन के नए मामले भारत में पाए जा रहे हैं

Omicron Covid Variant:  कोरोना का नया वेरिएंट दुनिया भर के कई देशों में गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। भारत दूसरी लहर के डेल्टा वेरिएंट्स से अभी उबरा भी नहीं और ओमिक्रोन ने दस्तक दे दी। हर दिन ओमिक्रोन के नए मामले भारत में पाए जा रहे हैं।

कुछ यात्रियों की एयरपोर्ट पर RTPCR की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है जबकि घर पहुंचने के कुछ दिनों बाद ही वो पॉजिटिव हो जा रहे हैं। उसके अलावा अगर कोरोना का डेल्टा वैरिएंट और ओमिक्रोन वैरिएंट मिक्स होकर नया म्यूटेंट बन जाए तो कितना खतरनाक हो सकता है। इन सभी सवालों पर हमारे संवाददाता प्रेरित कुमार से बातचीत की है वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अंशुमान कुमार ने।

एयरपोर्ट पर RT-PCR नेगेटिव व्यक्ति की रिपोर्ट कुछ दिनों बाद पॉजिटिव कैसे हो रही है ?

रिपोर्ट नेगेटिव, संक्रमण और बीमारी। तीन चीजों को समझना जरूरी है। रिपोर्ट से मतलब है गले से जो RTPCR के लिए सैंपल लिया गया है उसमें रिपोर्ट नेगेटिव आई है। एक संभावना हो सकती है कि सैंपल लेने में कमी। शायद बहुत अनुभवी व्यक्ति ने सैंपल नहीं लिया हो इसलिए सैंपल से रिपोर्ट नेगेटिव आई।

दूसरी संभावना विंडो पीरियड में हो सकती है उस वक्त पेशेंट इतना वायरल लोड नहीं दे पाया की RTPCR में  डिटेक्ट हो पाए। तो RTPCR रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। उस इंसान को एयरपोर्ट से छोड़ दिया गया। वह घर आ गया। चार-पांच दिन बाद उसके लक्षण दिखने लगे। उसकी जांच हुई, जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आया। उसका ट्रेवल हिस्ट्री देखते हुए जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा। आप ने पाया कि वह ओमिक्रोन से संक्रमित है। अब वह इंसान सुपर स्प्रेडर का काम कर चुका है। अपनी कम्युनिटी में चार-पांच दिनों तक घुमा और कई लोगों को फैला चुका है। इस समय जरूरी है कि अगर कोई इन्फेक्टेड जगह से आ रहा है और उसका  RTPCR अगर नेगेटिव भी आ जाएं तब भी उसे 14 दिनों के लिए कोरेन्टीन में रखना चाहिए। और सस्पेक्ट तरीके से जाँच की जाए।

अगर डेल्टा वैरिएंट और ओमिक्रोन का मिक्स म्यूटेशन हो जाए तो कितना खतरनाक होगा ?

वायरस में म्यूटेशन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। और दूसरी प्रक्रिया होती हैं हाइब्रिड डाइजेशन। डेल्टा में जहां-जहां पर म्यूटेशन हुआ ओमिक्रोन में म्यूटेशन दूसरे स्थान पर हुआ। लगभग 52 म्यूटेशन हुए हैं। इसमें 32 म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन के हैं। लेकिन अलग-अलग जगह पर है। इसलिए डेल्टा की मारक क्षमता ज्यादा है और ओमीक्रोन की संक्रमण क्षमता ज़्यादा है। एक संभावना दुनिया के तमाम बड़े विशेषज्ञों डॉक्टरों और विरोलॉजिस्ट ने जताया है कि अगर डेल्टा और ओमीक्रौन पूरी तरह से मिल जाए जिसे 'डेलीक्रोन' जैसे नाम से बुलाया जा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो हो सकता है संक्रमण क्षमता बढ़े और मारक क्षमता भी बढ़ जाए। यह घातक सिद्ध हो सकता है। इसे सुपर स्ट्रेन का नाम दिया जा रहा है। यह संभावना एक थियोरेटिकल पॉसिबिलिटी बनती है। ऐसा होगा या नहीं होगा यह समय बताएगा।

तीसरी लहर में ओमिक्रोन वैरिएंट किन लोगों के लिए ज़्यादा ख़तरनाक होगा ?

ओमिक्रोन में संक्रमण दर ज्यादा है। तो यह संक्रमित तो सभी को करेगा। लेकिन यह जरूर है कि जो वैक्सीनेटेड लोग हैं वह डटे रहेंगे। थोड़ी बहुत तकलीफ होगी, अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन जो बुजुर्ग अति गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। बच्चे जिनको वैक्सिनेट नहीं किया गया है। या जो युवा अनवैक्सीनेटेड हैं उन्हें जरूर संक्रमित करेंगा। अभी तक तमाम जगहों पर देखा गया है जहां ओमिक्रोन ने इतना भी गंभीर रूप नहीं लिया है। लोग थोड़ी बहुत खांसी ज़ुखाम के साथ ठीक हो जाते हैं।

लेकिन नीति निर्धारण के तहत बच्चों के वैक्सीन का ट्रायल हो चुका है बच्चों का वैक्सीनेशन चालू करना चाहिए। जिन हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन लगे 6 महीने से ऊपर हो गया उनको बूस्टर डोज देना चाहिए। जिनको सिंगल डोज नहीं लगी उनको सिंगल डोज लगवाना चाहिए। किसी चीज का इंतजार मत कीजिए कि हम डबल डोज पूरी कर लेंगे तब बूस्टर डोज करवएंगे। इस वायरस से बचने का एकमात्र तरीका वैक्सीन रोलआउट ही है।