- साइड इफेक्ट देखे जाने के बाद एक बार फिर ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर ट्रायल शुरू
- वैक्सीन के इस साल के अंत या अगले साल के शुरुआती महीने में आने की उम्मीद
- ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर पूरी दुनिया की टिकी है निगाह
नई दिल्ली। ऑक्सफर्ड और एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस वैक्सीन से मिली निराशा वाली खबर के बाद एक बार फिर मुस्कुराने का मौका आया है। अंतिम चरण के ट्रायल के दौरान जब एक वालंटियर में साइड इफेक्ट्स देखे गए तो ट्रायल को रोक दिया गया था। लेकिन अब फिर अंतिम चरण के ट्रायल को शुरू कर दिया गया है। एस्ट्राजेनेका का कहना है कि ब्रिटेन की मेडिसिन हेल्थ रेगुलेटरी अथॉरिटी ने जांच के बाद इसे सुरक्षित पाया है। रेगुलेटरी अथॉरिटी से हरी झंडी मिलने के बाद क्लिनिकल ट्रायल को हरी झंडी दी गई है।
इस साल या अगले साल के शुरुआत में वैक्सीन की उम्नीद
एस्ट्राजेनेका के के सीईओ पास्कल सॉरियट का कहना है कि छोटी रुकावट के बाद अब उम्मीद जगी है कि वैक्सीन आम लोगों के लिए जल्द से जल्द उपलब्ध करा दी जाएगी। उनका कहना है कि यह वैक्सीन इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत तक आ सकती है। सॉयरिट ने कहा कि भले ही रूस ने ,स्पुतनिक वी को लांच कर दिया हो। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इसी वैक्सीन की है। वो बताते हैं कि जिस रफ्तार से हम आगे बढ़ रहे हैं उसमें उम्मीद है कि 2020 तक के रेग्युलेटरी अप्रूवल के लिए डेटा हासिल किया जा सकेगा।
भारत में भी दोबारा ट्रायल शुरू होने की उम्मीद
ब्रिटेन में दोबारा ट्रायल की अनुमति मिलने के बाद अब भारत नें वैक्सीन पर दोबारा ट्रायल की उम्मीद बढ़ गई है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का कहना है कि डीजीसीआई से अनुमति लेने की कोशिश की जा रही है। बता दें कि ब्रिटेन में ट्रायल रोके जाने के बाद यहां भी आगे की प्रक्रिया को रोक दिया गया था। खासतौर से डीजीसीआई की तरफ से लताड़ भी लगाई गई थी। ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका ने भारत में मास स्केल पर वैक्सीन उत्पादन की जिम्मेदारी एसआईआई को दी है। .
तीसरे चरण में साइड इफेक्ट बाद देखे गए
वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के दौरान एक वॉलंटिअर में ट्रांसवर्स मायलाइटिस की कंडीशन पैदा हो गई थी। इसकी वजह से वालंटियर की रीढ़ की हड्डी में सूजन आ गई थी। अंतिम चरण में दुनियाभर में 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए हैं। वैक्सीन अभी ट्राय के जिस फेज में है उसे पार करने के बाद सुरक्षा और असर के डेटा को मंजूरी दिलाने का काम बचेगा।
वायरल वेक्टर पर आधारित है वैक्सीन
यह वैक्सीन वायरल वेक्टर पर आधारित है। SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन को कमजोर और सामान्य जुकाम पैदा करने वाला वायरस में ट्रांसफर किया गया। जब इस एडीनोवायरस को इंसानों में इंजेक्शन के जरिए प्रवेश कराया गया तो प्रोटीन को पहचानकर इम्यून सिस्टम ने रिस्पॉन्स पैदा किया। पहले दो क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों में इससे ऐंटीबॉडी और T-cell पैदा होते पाए गए हालांकि छोटे-मोटे साइड इफेक्ट भी सामने आए थे।