- कोरोना वायरस से जंग में अमेरिका का नया हथियार
- रिसर्च में विकसित हुई एक खास रणनीति
- तकनीक और सूझबूझ से कोविड-19 ग्रसित क्षेत्रों पर रहेगी नजर
ह्यूस्टन: अनुसंधानकर्ताओं ने उन स्थानों का पता लगाने के लिए एक नई, गैर आक्रामक रणनीति विकसित की है जो उन संभावित क्षेत्रों को इंगित करेंगे जहां से कोविड-19 के प्रसार का जोखिम अधिक होगा। इसके लिए वे मौजूदा सेलुलर (मोबाइल) वायरलैस नेटवर्कों से डेटा का प्रयोग करेंगे। यह ऐसी उपलब्धि है जो वैश्विक महामारी की रोकथाम में मददगार साबित हो सकती है।
अमेरिका की कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के एडविन चोंग समेत अन्य वैज्ञानिकों के मुताबिक यह नयी तकनीक सबसे अधिक भीड़-भाड़ वाले स्थानों की पहचान में मदद करेगा जहां वायरस के ऐसे वाहकों के कई स्वस्थ लोगों से करीब से संपर्क में आने की आशंका बहुत ज्यादा होगी जिनमें रोग के लक्षण नजर नहीं आते हैं।
घनी आबादी वाले इलाकों में सर्वे
इस तकनीक से उन क्षेत्रों को ऐसे परिदृश्यों से बचने में मदद मिलेगी जहां वायरस किसी देश के घनी आबादी वाले इलाकों में विनाशकारी प्रभाव डालता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रणनीति का इस्तेमाल कर वे यह समझने की उम्मीद करते हैं कि मोबाइल उपयोगकर्ता किसी क्षेत्र में कैसे आवागमन करते हैं और जुटते हैं। इसके लिए वे हैंडओवर और सेल (पुन:) चयन प्रोटोकॉल का उपयोग करते हैं।
एक करोड़ से ज्यादा संक्रमित
इस तकनीक का संपूर्ण ब्योरा ‘आईईईई ओपन जर्नल ऑफ इंजीनियरिंग इन मेडिसिन एंड बायोलॉजी’ में दिया गया है। अब देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में कोविड-19 को रोकने में स्वास्थ्य से संबंधित ये नई तकनीक व व्यवस्था कैसे मददगार साबित होती है। अब तक दुनिया भर में 1 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।