मुंबई. बॉलीवुड एक्ट्रेस विद्या बालन ने न्यू ईयर के दिन अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया। इसके अलावा वह जल्द ही वह महान एक्टर और आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम एन.टी.रामाराव की बायोपिक में नजर आएंगी। इस फिल्म में वह एन.टी.आर की वाइफ का रोल निभाएंगी। लेकिन बेहद शालीन और खूबसूरत एक्ट्रेस विद्या बालन ओसीडी यानी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर (ओसीडी) नामक मनोवैज्ञानिक समस्या से जूझ रही है।
ओसीडी बीमारी में ब्रेन में सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी हो जाती है। इसका कारण इंफेक्शन और स्ट्रेस भी होता है। इस बीमारी व्यक्ति को किसी एक काम को करने की सनक सी सवार हो जाती है। वह बार-बार एक ही चीज करता है और उसे कर के भूल भी जाताहै। इस बीमारी में खासकर रोगी को सफाई की धुन सवार हो जाती है।
इस बीमारी से पीड़ित रोगी को आसपास ही नहीं खुद में भी गंदगी दिखती रहती है। अगर कोई गंदी चीज छू जाए तो रोगी तब तक हाथ धोते रहते हैं जब तक उनका दिमाग उन्हें न कहें। ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर के लिए आनुवांशिकता, ब्रेन में सेरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी, इंफेक्शन, स्ट्रेस आदि चीजें जिम्मेदार होते हैं।
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घर में चप्पल नहीं पसंद
बॉलीवुड एक्ट्रेस विद्या बालन को अपने आसपास सफाई बहुत पसंद है। अगर उन्हें अपने आसपास थोड़ी सी भी धूल मिट्टी दिख जाती है तो उनके दिमाग के नेगेटिव हॉर्मोन्स एक्टिव हो जाते हैं। इसके चलते उन्हें एलर्जी हो जाती है। सिर्फ यही नहीं विद्या को यह भी पसंद नहीं है कि उनके घर में कोई चप्पल पहनकर घूमे।
इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को घर से निकते वक्त दरवाजा ठीक से बंद किया या नहीं?, लाइट और पंखे के स्विच बंद किए या नहीं? कहीं गैस का स्विच खुला तो नहीं है? बाथरूम के टैब खुले तो नहीं हैं? जैसे संशय बने रहते हैं।
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ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर के लक्षण
- ओसीडी पीड़ित में आमतौर पर सफाई और बार-बार हाथ धोने का कंपल्शन होता है।शंक और डर हॉट ही। उनमें से कुछ निश्चित संख्याओं, रंगों और अरेंजमेंट को लेकर अंधविश्वास हो सकता है।
- कीटाणुओं और गंदगी आदि के संपर्क में आने या दूसरों को दूषित कर देने का डर रहता है।
- डर से जुड़ी चीजों को को महसूस करना जैसे, घर में कोई बाहरी व्यक्ति घुस आया है।
- ऐसे लोगों को किसी और को नुकसान पहुंचने का डर भी रहता है।
- धर्म या नैतिक विचारों पर पागलपन की हद तक ध्यान देना।किसी चीज को भाग्यशाली या दुर्भाग्यशाली मानने का अंधविश्वास।
- चीजों को बेवजह बार-बार जांचना, जैसे कि ताले, उपकरण और स्विच आदि।बेकार की चीजें इकट्ठा करना जैसे कि पुराने न्यूजपेपर, खाने के खाली डिब्बे, टूटी हुई चीजें आदि।
कैसे करें इससे बचाव
ऐसी दवाइयां मौजूद हैं जो दिमाग की कोशिकाओं में सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ाती हैं। डॉक्टर कई बार इलाज के लिए इन दवाओं को लेने की सलाह देते हैं, जिन्हें लंबे समय तक लेना होता है।
कभी-कभी तनाव को दूर करने वाली दवाएं भी इनके साथ दी जाती हैं। इसके साथ बिहेवियर थैरेपी की मदद भी ली जाती है। जिसके अंतर्गत रोगी को शांत रहने वाले व्यायाम सिखाए जाते हैं। बिहेवियर थैरेपी में सोच से मुक्त होने के लिए कुछ तकनीकें भी सिखाई जाती हैं।
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