- बच्चे में मल्टीसिस्ट इन्फलेमेंन्ट्री सिंड्रोम देखे जाने पर तुरंत कराएं अस्पताल में भर्ती
- डबल कोविड वेरिएंट के कारण भी बच्चे कोरोना के भयावह प्रकोप के हो रहे हैं शिकार
- बच्चों के लिए नहीं है अभी कोई वैक्सीन, ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को लेकर रहें अधिक सजग
नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर थमने का नाम नहीं ले रही हैं और यह रोजाना विस्फोटक रूप लेता जा रहा है। देश में एक बार फिर लॉकडाउन की स्थिति बनती जा रही है। इस दौरान वयस्कों के साथ बच्चे भी तेजी से कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। बीते दिन जैसे जैसे स्कूल खुलते गए वैसे वैसे बच्चों में वायरस के संक्रमण की खबरें बढती गई।
इस स्थिति को देखते हुए एक बार फिर स्कूल व कोचिंग संस्थान में तालाबंदी कर दी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बना रही है, जिससे बच्चे इस भयावह महामारी की चपेट में आ रहे हैं । यही वजह है कि कोरोना के प्रकोप के कारण बच्चों के मृत्यु दर में तेजी से वृद्धि हो रही है। ऐसे में डॉक्टर्स के अनुसार आइए जानते हैं आखिर क्यों है बच्चों में कोरोना की दूसरी लहर खतरनाक और अगर आपका बच्चा कोरोना से संक्रमित हो जाए तो आपको क्या करना चाहिए। ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब।
क्यों है बच्चों के लिए दूसरी लहर खतरनाक?
कोरोना के शुरुआती दौर में बच्चों में कोरोना का संक्रमण नहीं देखा गया था, जो बच्चे इससे संक्रमित थे भी उनमें इसके लक्षण कुछ खास नहीं थे। लेकिन कोरोना का दूसरा स्ट्रेन अधिक शक्तिशाली और घातक दिख रहा है। अब वयस्कों के साथ बच्चे भी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं और इसके भयावह लक्षण देखे जा रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना का दूसरा स्ट्रेन अधिक शक्तिशाली और घातक है, जो आसानी से इम्यूननिटी और एंटीबॉडीज से बचकर शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए बच्चे भी इससे तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक डबल कोविड वेरिएंट के कारण भी बच्चे कोरोना के भयावह प्रकोप के शिकार हो रहे हैं। डबल कोविड वेरिएंट ना केवल आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर बना रहा है बल्कि यह रिसेप्टर्स के साथ मिलकर शरीर में तेजी से फैल रहा है।
नवजात शिशु भी हो चुके हैं इससे संक्रमित
मुंबई के बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर विपुल मल्होत्रा के मुताबिक कोविड में उम्र का अंतर नहीं दिखता है। 1 से 16 साल के बच्चे इसकी चपेट में आ सकते हैं। वहीं एक शोध के मुताबिक उन्होंने बताया कि ऐसा उदाहरण भी सामने आया है जिसमें नवजात शिशु भी इस भयावह महामारी के प्रकोप के शिकार हुए हैं। हालांकि वह जन्म के समय मां से संक्रमित हुए थे।
क्या बच्चे सुपरस्प्रेडर बन सकते हैं?
क्या बच्चे सुपर स्प्रेडर बन सकते हैं? क्या वह परिवार के सदस्यों को इससे संक्रमित कर सकते हैं। कई सारे अध्ययनों के मुताबिक बच्चों से परिवार के सदस्य भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे कोरोना के सुपर स्प्रेडर का काम कर सकते हैं और घर के वयस्क बच्चों से इसके संक्रमण से ग्रसित हो सकते हैं। जिस समय यह वायरस तेजी से फैल रहा है ऐसे में लोगों के लिए यह सबसे बड़ा सवाल है कि क्या बच्चे घर के वयस्कों को कोरोना से संक्रमित कर सकते हैं। वयस्कों के लिए इससे खतरा है और खासकर घर में दादा-दादी यानी बुजुर्ग सदस्यों को इससे अधिक खतरा है। वहीं जिन्होंने टीकाकरण करवा लिया है उन्हें इससे कम खतरा है।
क्या हो सकते हैं लक्षण?
कोरोना से संक्रमित किसी भी दो व्यक्ति में समान लक्षण नहीं देखे जा सकते हैं। यह बच्चों में भी देखा जा सकता है। कोरोना से संक्रमित होने के दौरान कई बच्चों में कोई लक्षण नहीं होते और कई जो बीमार पड़ते हैं उनमें खांसी, जुकाम, थकान आदि लक्षण देखे जाते हैं। संभावित रूप से गंभीर और खतरनाक मल्सिस्टम इन्फलेमेन्ट्री सिंड्रोम (MIS-C) बच्चों में हो सकते हैं, जो ह्रदय और शरीर के अन्य अंगों के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है जिसमें ज्यादा दिनों से बुखार, त्वचा और पैर की उंगलियों पर लाल चकत्ते पड़ना, शरीर और जोडों में दर्द, होठों का लाल होना या फट जाना, हाथ और पैर में सूजन, ऑक्सीजन यानि सांस लेने में दिक्कत आदि लक्षण देखे जा सकते हैं।
बच्चे के कोरोना से पॉजिटिव पाए जाने पर क्या करें?
यदि आपको बच्चे में कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण देखने को मिलते हैं तो तुरंत उसकी कोविड जांच करवाएं। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है और उसमें शुरुआती लक्षण देखे जाते हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और होम आइसोलेशन के दौरान उसे घर के सदस्यों से दूर रखें। हालांकि बच्चों को ज्यादा देर तक दूर नहीं रखा जा सकता। इसके लिए माता या पिता कोई एक लोग बच्चे की देखभाल करें और उससे थोड़ी दूरी बनाकर रखें। तथा जो भी बच्चे की देखभाल करता है पूरी तरह सावधानी बरते एन-95 मास्क का प्रयोग करें। बच्चे में यदि संक्रमण के दौरान एमआईएस-सी सिंड्रोम देखे जाएं तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराएं अन्यथा स्थिति भयावह हो सकती है।
इस बात का रखें ध्यान
बच्चों के लिए अभी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है ऐसे में माता पिता को बच्चों को घर से बाहर निकालने में सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। ऐसे में वयस्कों के साथ बच्चों में भी मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनेटाइजेशन आदि का अभ्यास जारी रखना सख्त जरूरी है। साथ ही बच्चों को स्कूल भेजना अभी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। शिशुओं और छोटे बच्चों को घर से बाहर निकलने देने की गलती ना करें, यदि कोई जरूरी काम हो तो ही सावधानीपूर्ण साथ में बाहर लेकर निकलें। साथ ही इस समय जरूरी यात्राओं के अलावा बच्चों के साथ कोई भी यात्रा ना करें।
शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य का रखें ध्यान
डॉक्टर विपुल अग्रवाल के अनुसार माता-पिता को बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य की भी देखभाल करना चाहिए। एक बार फिर बच्चों को घर के अंदर रखना बच्चे के लिए निराशाजनक और कष्टप्रद हो सकता है। यह बच्चों के लिए तनाव का कारण बन सकता है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार लॉकडाउन की स्थिति में माता पिता को बच्चों के साथ घुलना-मिलना आवश्यक है।
बच्चों के लिए नहीं है अभी कोई वैक्सीन
बच्चों के लिए अभी साल 2022 से पहले कोरोना के खिलाफ वैक्सीन आने की कोई उम्मीद नहीं है। हालांकि मॉर्डना बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल कर रहा है। इसी हफ्ते मॉर्डना ने अमेरिका में बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरु किया है। इसे किडकोव अभियान का नाम दिया गया है।