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क्या होता है कोरोना का सुपर स्प्रेडर? ये कितना खतरनाक, क्या हैं बचाव के उपाय

क्या होता है कोरोना का सुपर स्प्रेडर? ये कितना खतरनाक, क्या हैं बचाव के उपाय
Updated Apr 14, 2021 | 10:38 IST

कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच चर्चा 'सुपर स्प्रेडर' की भी है। कौन होते हैं ये सुपर स्‍प्रेडर, कोरोना को फैलाने में इनका योगदान होता है और क्या हैं बचाव के उपाय?

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क्या होता है कोरोना का सुपर स्प्रेडर? ये कितना खतरनाक, क्या हैं बचाव के उपायक्या होता है कोरोना का सुपर स्प्रेडर? ये कितना खतरनाक, क्या हैं बचाव के उपाय
तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
क्या होता है कोरोना का सुपर स्प्रेडर? ये कितना खतरनाक, क्या हैं बचाव के उपाय

नई दिल्‍ली : देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच बुधवार को एक बार फिर संक्रमण के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई। 24 घंटों के भीतर 1.84 लाख से अधिक नए कोविड केस दर्ज किए गए हैं, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है, जबकि 1,000 से अधिक लोगों ने संक्रमण के कारण जान गंवाई है। इस बीच चर्चा 'सुपर स्‍प्रेडर' की भी है। युवाओं को सुपर स्‍प्रेडर के रूप में देखा जा रहा है। आखिर कौन होते हैं सुपर स्‍प्रेडर, कोरोना वायरस संक्रमण को फैलाने में इनका क्‍या योगदान होता है और बचाव के क्‍या उपाय हैं?

दरअसल, भीड़भाड़ वाले इलाकों में जब कोई संक्रमित व्‍यक्ति बड़ी संख्‍या में लोगों को संक्रमण की चपेट में ले लेता है तो वह सुपर स्प्रेडर कहलाता है। अब आप सोचेंगे कि भला कोई संक्रमित व्‍यक्ति भीड़भाड़ वाले इलाकों में क्‍यों जाएगा? सच है संक्रमण की पुष्टि के बाद लोग ऐसा नहीं करते, लेकिन संक्रमण की पुष्टि तब होती है, जब कोई व्‍यक्ति जांच कराता है। ऐसे मामले बड़ी संख्‍या में हैं, जिनमें संक्रमण के बावजूद लक्षण नजर नहीं आते या फिर संक्रमण के कई दिनों बाद लक्षण दिखते हैं। ऐसे में संक्रमित होने के बावजूद ये लोग इससे अनजान रहते हैं।

युवा बन रहे सुप्रर स्‍पेडर!

खुद के संक्रमित होने की बात से अनजान ऐसे लोग अन्‍य लोगों के बीच जाकर उनमें तेजी से संक्रमण फैला सकते हैं। यही लोग सुपर स्‍प्रेडर कहलाते हैं। विशेषज्ञ युवाओं को सुपर स्‍प्रेडर के रूप में देखते हैं। उनका कहना है कि 18 से 45 साल के उम्र के लोग सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर और यहां कई तरह के कोरोना वायरस स्‍ट्रेन की पुष्टि के बावजूद युवाओं में इसे लेकर एक तरह की लापरवाही देखी जा रही है। वे दफ्तर जा रहे हैं, शॉपिंग कर रहे हैं, रेस्टोरेंट जा रहे हैं, मूवी देखने पहुंच रहे हैं और पार्टी भी कर रहे हैं।

इस उम्र के लोगों को अब तक अभी तक लगता है कि कोरोना वायरस का संक्रमण उनके लिए नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों ने पहले भी आगाह किया था और अब भी युवाओं के इस लापरवाह रवैये को लेकर उन्‍हें चेता रहे हैं। दिल्‍ली के ही आंकड़ों पर गौर करें रविवार को ही मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल बता चुके हैं कि यहां करीब 65 फीसदी मरीज 45 वर्ष से कम उम्र के हैं। ऐसे में उन्‍होंने टीकाकरण के मौजूदा चरण में 45 साल या इससे अधिक उम्र के ही लोगों को वैक्‍सीन लगाने के लिए तय की गई बाध्‍यता को समाप्‍त करने की मांग भी केंद्र सरकार के समक्ष उठाई है।

कैसे हो बचाव?

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया भी कई मौकों पर चेता चुके हैं कि लोग कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए मास्‍क, सोशल डिस्‍टेंसिंग, सैनिटाइजेशन, साफ-सफाई जैसे कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण देशभर में बड़ा स्‍वास्‍थ्‍य संकट पैदा होता नजर आ रहा है। उन्‍होंने कहा कि पहले संक्रमित व्‍यक्ति जहां अपने संपर्क में आने वाले 30 फीसदी लोगों को संक्रमित करता था, वहीं इस बार यह दर कहीं अधिक है। ऐसे में लोगों को सख्‍ती से कोविड उपयुक्त व्‍यवहार का पालन करने की जरूरत है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बेहद जरूरी है कि जब तब लोगों को बहुत आवश्‍यक न हो, वे घरों से बाहर न निकलें। प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग एक जगह जमा न हों और कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन कर रहे हों। संक्रमण की रफ्तार को काबू करने में वे टीकाकरण को अहम मान रहे हैं और लोगों से अधिक से अधिक संख्‍या में टीका लगवाने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि संभव है कि वैक्‍सीन लगवाने के बाद भी कुछ लोग संक्रमण की चपेट में आ जाएं, लेकिन ये संक्रमण को गंभीर रूप नहीं लेने देगा जिससे मृत्यु दर कम रखने में मदद मिलेगी।