- 'यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा वाले रास्ते पर गोश्त पर लगाई पाबंदी'
- बोले- मुस्लिमों के खुली जगह चंद मिनट नमाज से भी 'बवाल'
- अगर इन पर फूल, तो कम से कम हमारे घर तो मत तोड़ें: AIMIM चीफ
सावन में कावंड़ियों पर फूल बरसाने को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एएमआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए हैं। पूछा है कि क्या पुष्प वर्षा रेवड़ी कल्चर नहीं है? उन्होंने इसके साथ ही भेदभाव का आरोप लगाते हुए पूछा है कि एक पक्ष के लिए मोहब्बत तो दूजे के लिए नफरत क्यों अपनाई जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कावंड़ियों पर फूल बरसाए जा रहे हैं, तब कम से कम उन लोगों (मुस्लिमों) के घर तो न तोड़े जाएं।
ये सारी बातें उन्होंने इन्हीं मसलों से जुड़ी खबरें शेयर करते हुए टि्वटर के जरिए कहीं। ओवैसी ने ट्वीट किया, "पुलिस ने पंखुड़ियों की बौछार कीं। कांवड़ियों का झंडों से "इस्तक़बाल" किया। उनके पैरों पर लोशन लगाया और उनके साथ इंतेहाई शफकत से पेश आई। दिल्ली पुलिस ने लोहारों को हटाने की बात की, ताकि कांवड़िया नाराज न हो जाएं। उ.प्र हुकूमत ने यात्रा के रास्तों पर गोश्त पर पाबंदी लगा दी।"
बकौल एआईएमआईएम चीफ, "यह 'रेवड़ी कल्चर' नहीं है? मुसलमान, खुली जगह पर चंद मिनट के लिए के नमाज़ भी अदा करे तो “बवाल” हो जाता है। मुसलमानों को सिर्फ मुसलमान होने की वजह से पुलिस की गोलियों, हिरासती तशद्दुद, एनएसए, यूएपीए, लिंचिंग, बुल्डोजर और तोड़-फोड़ का सामना करना पड़ रहा है।"
अगले ट्वीट के जरिए वह बोले- कांवड़ियों के जज़्बात इतने मुतज़लज़ल हैं कि वे किसी मुसलमान पुलिस अहलकार का नाम भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह भेद-भाव क्यों? यकसानियत नहीं होनी चाहिए? एक से नफ़रत और दूसरों से मोहब्बत क्यों? एक मज़हब के लिए ट्रैफिक डाइवर्ट और दूसरे के लिए बुलडोजर क्यों? अगर इन पर फूल बरसा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घर तो मत तोड़िए।