- सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी ने विपक्ष को एलएसी के ताजा हालात की जानकारी दी
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की एक इंच जमीन पर भी किसी का कब्जा नहीं है
- सुरक्षाबलों को उचित कदम उठाने की दी गई है खुली छूट, पहले से ज्यादा सक्षम है सेना
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ छह सप्ताह से सीमा पर बने हुए गतिरोध के मुद्दे पर शुक्रवार को कहा कि किसी ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया और ना ही भारतीय चौकियों पर कब्जा किया गया है। मोदी ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 20 जवानों की शहादत का जिक्र करते हुए कहा कि एलएसी पर चीन के कदमों से पूरा देश आहत और आक्रोशित है। उन्होंने यह रेखांकित भी किया कि देश शांति और मित्रता चाहता है, लेकिन संप्रभुता की रक्षा सर्वोपरि है।
'भारत की तरफ आंख उठाने वालों को मिला सबक'
प्रधानमंत्री ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के हालात पर चर्चा के लिए बुलाई सर्वदलीय बैठक में कहा कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों ने भारत की तरफ आंख उठाकर देखने की हिमाकत करने वालों को ‘सबक’सिखाया। उन्होंने कहा कि सेना को यथोचित कदम उठाने की आजादी दी गई है। सरकार ने एक बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री ने बैठक की शुरुआत में स्पष्ट किया कि न वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई चौकी किसी दूसरे के कब्जे में है।’ बयान के अनुसार उन्होंने नेताओं को आश्वस्त किया कि सशस्त्र बल देश की रक्षा के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। प्रधानमंत्री का यह स्पष्ट बयान इन खबरों के बीच आया है कि चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी समेत पूर्वी लद्दाख के अनेक क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय पक्ष की तरफ घुसपैठ की है।
सुरक्षाबलों को दी गई है छूट
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘एक तरफ सेना को जरूरी कदम उठाने के लिए आजादी प्रदान की गई है, वहीं भारत ने कूटनीतिक तरीकों से चीन को अपने रुख से स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया है।’उन्होंने कहा कि भारत के पास आज इतनी क्षमता है कि कोई भी हमारी एक इंच जमीन की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। बैठक में अपने समापन वक्तव्य में मोदी ने कहा कि भारतीय बलों को देश की रक्षा के लिए जो करना है, वो कर रहे हैं, चाहे सैनिकों की तैनाती हो, कार्रवाई हो या जवाबी कार्रवाई हो।
सुरक्षाबल पहले से ज्यादा सक्षम
उन्होंने कहा, ‘हमारे नवनिर्मित बुनियादी ढांचों, खासतौर पर एलएसी पर निर्माणों की वजह से हमारी गश्त क्षमता बढ़ी है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने भारत की सीमाओं को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी संरचना के विकास को प्राथमिकता दी है। लड़ाकू विमानों, आधुनिक हेलीकॉप्टरों, मिसाइल रक्षा प्रणाली और अन्य ऐसी जरूरतों के प्रावधान किए गए हैं। मोदी ने देश और इसके नागरिकों के कल्याण की सरकार की प्रतिबद्धता रेखांकित करते हुए कहा कि व्यापार हो, कनेक्टिविटी हो या आतंकवाद निरोधक कार्रवाई हो, सरकार ने हमेशा बाहरी दबाव का डटकर सामना किया है। एक सरकारी बयान के अनुसार उन्होंने आश्वासन दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जरूरी बुनियादी संरचना के निर्माण के लिए आवश्यक सभी कदम तेज गति से उठाए जाते रहेंगे।
चार घंटे तक चली बैठक
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई बैठक करीब चार घंटे तक चली जिसमें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, बसपा अध्यक्ष मायावती, माकपा नेता सीताराम येचुरी, द्रमुक नेता एम के स्टालिन और शिवसेना के उद्धव ठाकरे समेत विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया।
वाम दलों ने सरकार को घेरने का प्रयास किया
कांग्रेस और वाम दलों ने भाजपा नीत राजग सरकार को इस मुद्दे पर घेरने का प्रयास किया, वहीं भाजपा की मुखर आलोचक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक समेत अन्य कुछ दलों ने इस मसले पर सरकार को पूरी तरह समर्थन जताया। सरकार ने कहा कि राजनीतिक दलों के नेताओं ने लद्दाख में सशस्त्र बलों की बहादुरी की प्रशंसा की और इस जरूरत के समय प्रधानमंत्री के नेतृत्व पर भरोसा जताया। उन्होंने सरकार के साथ एकजुटता से खड़े रहने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
सोनिया ने पूछे सख्त सवाल
बैठक में सोनिया गांधी ने सरकार से कुछ सख्त सवाल पूछे मसलन क्या एलएसी पर बने हालात पर कोई खुफिया विफलता हुई है? उन्होंने मोदी से आश्वासन देने को कहा कि सीमा पर यथास्थिति बहाल की जाएगी। सोनिया ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि इस स्तर पर भी वे इस संकट के कई महत्वपूर्ण पहलुओं से अनभिज्ञ हैं। उन्होंने सरकार के सामने सवाल रखे और पूछा कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में कब प्रवेश किया? उन्होंने पूछा, ‘क्या सरकार के विचार से कोई खुफिया नाकामी हुई?’
राजनाथ ने कहा-बलिदान नहीं भूलेगा देश
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा, वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमा प्रबंधन पर भारत और चीन के बीच समझौतों की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने हालिया घटनाक्रम का ब्योरा भी साझा किया। प्रधानमंत्री का यह बयान कि भारतीय जवानों ने भारत की तरफ आंख उठाकर देखने वालों को ‘सबक’ सिखाया, चीन के हताहत हुए जवानों के संदर्भ में देखा जा रहा है।
गलवान घाटी से निकाले जाएं चीनी-शरद पवार
भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने सरकार से चीन के साथ व्यापार, खासतौर पर निर्यात रोकने को कहा। पूर्व रक्षा मंत्री और राकांपा नेता शरद पवार ने कहा कि तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक माध्यमों का इस्तेमाल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों को गलवान घाटी में ऊंचे मैदानी इलाकों से बाहर निकाला जाना चाहिए।
ममता बोलीं-सरकार के साथ खड़ी हूं
उन्होंने कहा कि चीन की सेना भारतीय सीमा की तरफ दुब्रुक-डीबीओ मार्ग पर प्रभाव जमाने के मकसद से गलवान घाटी में ऊंचे क्षेत्रों में डटी हुई है। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी संकट की इस घड़ी में केंद्र सरकार के साथ पुरजोर तरीके से खड़ी है और केंद्र को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बुनियादी संरचना परियोजनाओं में चीन के निवेश को अनुमति नहीं देनी चाहिए। तृणमूल के सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को संकट के समय में एकजुट रहना चाहिए और रहेगा।
मायावती ने कहा-यह राजनीति का समय नहीं
बयान के अनुसार बैठक में जदयू नेता नीतीश कुमार ने कहा कि इस मुद्दे पर नेताओं के बीच मतभेद नहीं होने चाहिए। चिराग पासवान ने कहा कि देश प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सुरक्षित महसूस करता है। शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री की सराहना की और कहा कि पूरा देश एकजुट है और प्रधानमंत्री के साथ है। एनपीपी के कोनराड संगमा ने कहा कि प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर में बुनियादी संरचनाओं के विकास पर काम कर रहे हैं। बसपा नेता मायावती ने कहा कि यह राजनीति का समय नहीं है और वह प्रधानमंत्री के हर फैसले के साथ खड़ी हैं। द्रमुक के स्टालिन ने इस विषय पर प्रधानमंत्री के हालिया बयान का स्वागत किया।
45 साल के इतिहास में सबसे बड़ा टकराव
राजद, आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम जैसे विपक्षी दलों ने बैठक में आमंत्रित नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई और निमंत्रण के मानदंड पर सवाल उठाए। गलवान घाटी में सोमवार रात हुई हिंसक झड़प 45 साल के इतिहास में दोनों देशों के बीच सीमा पर सबसे बड़े टकराव वाली घटना थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए, वहीं चीन की सेना ने अपने मारे गए जवानों की संख्या नहीं जाहिर की है। चीन के सैनिकों ने भारतीय जवानों पर क्रूरतापूर्ण तरीके से हमले करते हुए पत्थरों, कंटीले तार वाले डंडों, लोहे की छड़ों आदि का इस्तेमाल किया था। इससे पहले भारतीय जवानों ने गलवान में एलएसी के भारतीय क्षेत्र की तरफ चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाए जाने पर विरोध दर्ज कराया था।