CAG ने अपनी रिपोर्ट में Noida प्राधिकरण पर ज़मीन अधिग्रहण और उसके आवंटन को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए साथ ही कई खुलासे भी किये । कहा गया कि प्राधिकरण की अनदेखी की वजह से सरकारी खाजाने को 52 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। रिपोर्ट में Yogi Adityanath से पहले की सरकारों के काम का ऑडिट है।
नोएडा अथॉरिटी को लेकर CAG का बड़ा खुलासा किया है, बताया जा रहा है कि नोएडा अथॉरिटी में बड़ी धांधली की गई और नियमों की अनदेखी करके बिल्डरों को जमीन दी गई थी।
जमीन अलॉटमेंट के नाम पर सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान हुआ और सरकारी खजाने को करीब 52,000 करोड़ का नुकसान का आंकलन है, बताते हैं कि कुछ रियल एस्टेट कंपनियों पर नोएडा अथॉरिटी मेहरबान थी और भारी बकाए के बावजूद करोड़ों की जमीन दी गई इसके साथ ही सस्ते दाम पर कई कंपनियों को जमीन दी गई थी।
CAG ने अपनी रिपोर्ट में जिस तरह की बातें कही है उसका सीधा और साफ मतलब है कि नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर जमीनों का आवंटन किया। नियमों की ऐसी अनदेखी की गई जिससे नोएडा अथॉरिटी को हजारों करोड़ का घाटा हुआ है, CAG की रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश में 2005 से लेकर 2018 तक अधिकारियों और बिल्डर्स के बीच की मिलीभगत से ग्रेटर नोएडा में जमीन के अधिग्रहण उसके आवंटन और उसकी मंजूरी में नियमों की धज्जियां उड़ाकर रख दी गई और इस पूरे खेल की वजह से नोएडा अथॉरिटी को 52 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
सीएजी ने जो रिपोर्ट दी है, उसके मुताबिक नियमों की ऐसी-ऐसी अनदेखी हुई है और ये सारी गलतियां उस दौरान हुई जब राज्य में मायावती और अखिलेश यादव की सरकार थी।
CAG की रिपोर्ट में क्या है ?
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों की बंदरबांट का खुलासा
नियमों को ताक पर रखकर बिल्डरों को जमीन दी गई
सिर्फ 18% जमीन का इंडस्ट्रियल डवेलपमेंट के लिए इस्तेमाल
रियल एस्टेट डेवलपर्स को काफी फायदा पहुंचाया गया
नियमों की अनदेखी से नोएडा अथॉरिटी को हजारों करोड़ का नुकसान
कुछ जमीन को सिर्फ 3100 रुपए प्रति वर्ग मीटर बेचा गया
जबकि 2008-09 में न्यूनतम दर 14,400 रुपए प्रति वर्ग मीटर थी
कम पैसे में जमीन बेचे जाने से अथॉरिटी को 2,833 करोड़ का नुकसान
प्लॉट आवंटन भी गलत तरीके से किया गया है
सरकारी खजाने को कुल 52 हजार करोड़ का नुकसान
रिपोर्ट में CAG ने बताया है कि पहले किसानों से जमीन ली गई और फिर उसे बिल्डरों को देने का काम किया गया। लेकिन जिस तरीके से दिया गया उससे साफ है कि रियल एस्टेट बाजार को काफी फायदा पहुंचाया गया।
रिपोर्ट बताती है कि-
हजारों फ्लैट्स मालिक को अभी भी पजेशन का इंतजार है कुल 1.3 लाख ग्रुप हाउजिंग फ्लैट्स में से 44% के पास ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट्स नहीं
113 में से 71 हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स पैसे लेने के बाद भी अधूरे
किसी भी बिल्डर्स के खिलाफ नोएडा अथॉरिटी ने कोई कार्रवाई नहीं की
रिपोर्ट ये भी बता रही है कि 2008 से 2018 के बीच नोएडा के अधिकारियों ने जमीन का जिस तरह से आवंटन किया है। उससे सिर्फ और सिर्फ बिल्डर्स को फायदा पहुंचा। अब बीजेपी ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। जिस वक्त में ये बंदरबांट हुआ..उस दौरान मायावती और अखिलेश यादव की सरकार थी। इसीलिए इस मुद्दे को बीजेपी कसकर पकड़ना चाहती है। और लगे हाथ उन लोगों के मुद्दे को हवा देना चाहती है..जिन्हें सालों से अपने फ्लैट्स का इंतजार है।