गुवाहाटी: असम की सर्बानंद सोनोवाल सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने मदरसों को लेकर बड़ी बात कही है उनका कहना है कि सरकारी पैसे पर 'कुरान' की पढ़ाई नहीं जा सकती है और जल्दी ही प्रदेश के सभी सरकारी मदरसों को बंद कर दिया जाएगा क्योंकि जनता के पैसों से धार्मिक शिक्षा देने का प्रावधान नहीं है।
हेमंत बिस्वा ने आगे कहा कि अगर सरकारी पैसों से कुरान पढ़ाई जा सकती है तो फिर बाइबिल और गीता भी पढ़ाई जा सकती है, उन्होंने कहा,"मेरी राय में सरकारी पैसों से सरकारी पैसों कुरान नहीं पढ़ाई नहीं जा सकती. अगर ऐसा करना है तो फिर बाइबिल और भगवत गीता दोनों सिखाई जानी चाहिए. इसीलिए हम तालीम (शिक्षा) में बराबरी लाना चाहते हैं इस प्रथा को रोकना चाहते हैं।
"धार्मिक उद्देश्यों के लिए पढ़ाई कराना सरकार का काम नहीं"
हेमंत बिस्व सरमा ने कहा कि-धार्मिक उद्देश्यों के लिए पढ़ाई कराना सरकार का काम नहीं है और अगर कोई गैर सरकारी संगठन या सामाजिक संगठन अपने पैसे खर्च करके धर्म की पढ़ाई कराता है तो कोई समस्या नहीं है, पर उसे भी एक दायरे में इसे अंजाम देना होगा। ऐसे में सभी सरकारी मदरसों को बंद कर दिया जाएगा, सरमा ने कहा कि इस आदेश को लेकर अगले महीने एक अधिसूचना जारी की जाएगी।
सरकार की फंडिंग से राज्य में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी
इससे पहले सरमा ने कहा था, 'हमने विधानसभा में सरकार की पॉलिसी की घोषणा की है। सरकार की फंडिंग से राज्य में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। निजी तरीके से चलने वाले मदरसा एवं संस्कृत स्कूलों के बारे में हमें कुछ नहीं कहना है।' मंत्री ने कहा कि इस बारे में एक विधिवत अधिसूचना नवंबर महीने में जारी होगी। उन्होंने कहा कि मदरसा बंद किए जाने के बाद संविदा पर रखे गए 48 शिक्षकों का स्थानांतरण शिक्षा विभाग में किया जाएगा।
वहीं एआईयूडीएफ के प्रमुख अजमल ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। अजमल ने कहा कि भाजपा सरकार यदि राज्य सरकार की ओर से संचालित मदरसों को बंद करने का फैसला करती है तो 2021 में सत्ता में आने के बाद उनकी पार्टी इन शैक्षणिक स्कूलों को दोबारा खोलेगी। उन्होंने कहा, 'मदरस को बंद नहीं किया जा सकता। भाजपा सरकार यदि जबरन इन मदरसों को बंद करती है तो हम इन 50-60 मदरसों को दोबारा खोलेंगे।'