- देश के दूसरे राज्यों में बिहार के करीब 20 लाख मजदूर
- बिहार सरकार की तरफ से नोडल अधिकारियों की हुई तैनाती
- राज्यों से बेहतर समन्वय के लिए उठाया गया कदम
नई दिल्ली। लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर, छात्र और पर्यटक अपने अपने राज्यों में जा सकते हैं। इसके लिए गृहमंत्रालय की तरफ से बुधवार को गाइडलाइन जारी की गई। उसी क्रम में बिहार सरकार ने अपने नागरिकों को बुलाने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है।
नोडल अधिकारियों की तैनाती
बिहार सरकार ने उन सभी राज्यों के लिए नोडल अधिकारियों की तैनाती की जो इस बात को सुनिश्चित करेंगे दूसरे राज्यों से आने वाले या दूसरे राज्यों को जाने वाले लोगों को ऐहतियात बरतते हुए भेजा जा सके। यहां यह जानना जरूरी है कि दूसरे राज्यों में बिहार के करीब 20 लाख मजदूर हैं इसकी जानकारी खुड डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने दी थी।
केंद्र से स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग
अलग अलग राज्यों में फंसे मजदूरों को लाने के लिए डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने केंद्र सरकार से स्पेशल ट्रेनें चलाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि मजदूरों की बड़ी संख्या और अलग अलग राज्य होने की वजह से राज्य सरकार के लिए संभव नहीं होगा। इसलिए केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि ट्रेनों की सुविधा दी जाए। बता दें कि राजस्थान के सीएम की भी तरफ से इस तरह की मांग की गई है।
पहले नीतीश कुमार विरोध में थे
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों और छात्रों को वापस बुलाए जाने के मुद्दे पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने साफ कर दिया था कि जब तक केंद्र सरकार के द्वारा गाइडलाइन में बदलाव नहीं किया जाएगा। वो इस संबंध में फैसला नहीं लेंगे। सवाल यह है कि अगर ऐसा कोई काम किया गया तो लॉकडाउन का मकसद ही क्या रह जाएगा। बिहार के ही बीजेपी एमएलसी ने आने वाले विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए प्रवासी मजदूरों और छात्रों को वापस बुलाने की अपील की थी।
अब तो नहीं चलेगा बहाना
लॉकडाउन में ढील देने के बाद राजद के तेजस्वी यादव ने कहा कि अब वो समझते हैं कि बिहार सरकार के पास अब कोई दूसरा बहाना नहीं होगा। कम से कम नीतीश कुमार तो अब यह नहीं कह सकते हैं कि उनके हाथ बंधे हुए हैं। अब वो प्रवासी मजदूरों और छात्रों के दर्द को महसूस करेंगे और उन्हें वापल लाने का इंतजाम करेंगे।