कोलकाता : सीबीआई ने नारदा घोटाले में कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका वापस ले ली है, जिसमें तृणूमल कांग्रेस के चार नेताओं के हाउस अरेस्ट को मंजूरी दी गई थी। कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई की तरफ से पेश हुए सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता को अपनी अपील वापस लेने और सभी शिकायतों को हाई कोर्ट में उठाने की अनुमति दे दी।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने नारद रिश्वत मामले में तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं को घर में ही नजरबंद रखने की अनुमति दी थी। इनमें राज्य सरकार में शामिल मंत्री भी हैं। सीबीआई ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सीबीआई की आपत्ति इन नेताओं को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने की बजाय घर में ही नजरबंद रखने की अनुमति देने के हाई कोर्ट के फैसले को लेकर थी, जिसे उसने शीर्ष अदालत में चुनौती दी।
इन नेताओं से जुड़ा है मामला
नारदा केस में सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री फिरहाद हाकिम, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व महापौर शोभन चटर्जी को बीते सोमवार को गिरफ्तार किया था। लेकिन 21 मई को कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों, एक विधायक और कोलकाता के पूर्व महापौर को जेल से हटाकर उनके घरों में ही नजरबंद करने के आदेश दिए थे।
सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन मंगलवार को एक सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने जांच एजेंसी को कलकत्ता हाई कोर्ट के खिलाफ अपील वापस लेने की अनुमति दे दी। जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बीआर गवई की अवकाशकालीन पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि कलकत्ता हाई कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ इस केस की सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को अपनी अपील वापस लेने और सभी शिकायतों को उच्च न्यायालय में उठाने की अनुमति देने के साथ-साथ यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार और नेता भी हाई कोर्ट के समक्ष अपने मुद्दों को उठाने के लिए स्वतंत्र हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 24 मई को भी मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित करने की सीबीआई की अपील से इनकार कर दिया था।