- जस्टिस धींगरा कमेटी का गठन सिख दंगे में दिल्ली पुलिस की भूमिका की जांच के लिए किया गया था
- सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में सिख दंगे में 62 पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच के लिए कहा गया था
- केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसने धींगरा कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है और उसके अनुसार कार्रवाई करेगी
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसने 1984 में सिख समुदाय के लोगों के खिलाफ भड़के दंगे के संदर्भ में दिल्ली पुलिस की भूमिका को लेकर जस्टिस धींगरा कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है और इसके अनुसार काम करेगी। केंद्र ने इस संबंध में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा। याचिका में 1984 के सिख विरोधी दंगे में कई पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध बताई गई है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के एसजीएस काहलों को एसआईटी की रिपोर्ट पर सुझाव फाइल करने की अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर संदेह जताते हुए जो याचिका दायर की गई है, उसमें 1984 के सिख विरोधी दंगे में 62 पुलिसकर्मियों का नाम लिया गया है और उनकी भूमिका पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की गई।
यहां उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एस एन धींगरा की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया था, जिसमें रिटायर्ड आईपीएस अफसर राजदीप सिंह और सेवारत आईपीएस अधिकारी अभिषेक दुलर को भी शामिल किया गया था। हालांकि राजदीप सिंह बाद में कुछ 'निजी कारणों' का हवाला देते हुए एसआईटी से अलग हो गए।
इस टीम को सिख दंगों से जुड़े 186 मामलों में आगे और विस्तृत जांच के लिए कहा गया था। ये ऐसे मामले थे, जिसमें पहले क्लोजर रिपोर्ट फाइल की गई थी। सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस के तत्कालीन कई शीर्ष नेताओं के नाम भी आए हैं, जिनमें जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार का नाम प्रमुखता से शामिल है। सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह दोषियों को नही बख्शेगी और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।