नई दिल्ली: कोरोना की मार से दुनिया के कई देश जूझ रहे हैं, भारत में इसको देखते हुए लॉकडाउन लागू है, वहीं सरकार भी इसके प्रसार को रोकने के लिए यथासंभव कदम उठा रही हैं इसी क्रम में राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने सार्वजनिक स्थानों पर थूकना बैन (Spitting Ban) कर दिया है,राज्य सरकार की ओर से सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
प्रशासन ने इस बारे में शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी की है जिसमें कहा गया है, 'राजस्थान महामारी रोग अधिनियम 1957 की धारा 2 के तहत तंबाकू और अन्य उत्पादों को चबाने के बाद सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर राजस्थान सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है। उल्लंघन करने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।'
राज्य सरकार ने कोरोना के संक्रमण को रोकने और आमजन के स्वास्थ्य तथा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए व्यापक लोक हित में राजस्थान महामारी रोग अधिनियम 1957 की धारा (2) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए थूकने या पान तथा अन्य चबाये जाने वाले तम्बाकू तथा गैर तम्बाकू उत्पादों के खाने के बाद पीक को सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगा दी है।
वहीं झारखंड के जमशेदपुर में भी प्रशासन ने ऐसा ही कदम उठाया है, इसके मुताबिक जिले के सभी सरकारी/गैर सरकारी कार्यालय एवं परिसर को तम्बाकू मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है और इसका अवेहलना करने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन सघन अभियान चलाएगा।
गुटका और पान मसाला, खैनी खाकर यहां वहां थूकने से कोरोना वायरस फैलने का खतरा बढ़ता है जिसे रोकने के मद्देनजर ये कदम उठाना पड़ा है।
राशन सामग्री एवं खाना बांटने का वीडियो और फोटोग्राफी पर भी रोक
राजस्थान सरकार ने प्रदेश में राशन सामग्री एवं भोजन वितरण के दौरान किसी तरह की वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी निषिद्ध कर दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राशन सामग्री एवं भोजन वितरण राजनीति से परे होकर सेवा भाव के साथ किया जाए। इसे प्रचार और प्रतिस्पर्धा का माध्यम नहीं बनाया जाए।
गहलोत ने कहा कि सरकार का यह संकल्प है कि प्रदेश में कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोए, लेकिन साथ ही हम सबकी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वास्तविक जरूरतमंदों को ही इसका लाभ मिलना सुनिश्चित हो।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति सक्षम हैं, वे वास्तविक जरूरतमंद के हिस्से का अनुचित लाभ नहीं लें। सूखी राशन सामग्री एवं पके हुए भोजन के पैकेट पर पहला हक उन निराश्रित, बेसहारा तथा जरूरतमंद लोगों का है, जो संकट की इस घड़ी में पूरी तरह सरकार एवं जनसहयोग पर आश्रित हो गए हैं।
उन्होंने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि इस कार्य के लिए स्वयंसेवी संगठनों को निरन्तर प्रोत्साहित किया जाए और अच्छा कार्य करने वाली संस्थाओं को भोजन वितरण को लेकर आने वाली समस्याओं का निराकरण भी तत्काल प्रभाव से किया जाए। राशन एवं भोजन के पैकेट वितरित करते समय भौतिक दूरी का पूरा ध्यान रखा जाए।
इस दौरान किसी तरह की भीड़ एकत्र नहीं हो।