नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने कहा है कि ऑपरेशन या खुफिया जानकारी में किसी तरह की कोई विफलता नहीं थी। सिंह ने बताया कि लगभग 25-30 नक्सलियों को भी मार दिया गया, हालांकि सटीक संख्या का पता नहीं चल पाया है। सिंह नक्सल हमले के बाद स्थिति पर नजर रखने के लिए छत्तीसगढ़ में हैं।
DG सीआरपीएफ ने कहा, 'यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि किसी तरह की खुफिया जानकारी या ऑपरेशनल विफलता थी। अगर यह कुछ खुफिया विफलता थी, तो ऑपरेशन के लिए सेना नहीं जाती थी। और अगर कुछ ऑपरेशनल फेल होता तो इतने नक्सली मारे नहीं जाते।'
CRPF के 8 जवान शहीद
मुठभेड़ में नक्सलियों के हताहत होने पर बोलते हुए डीजी ने कहा, 'नक्सलियों ने घायल और नक्सलियों के शवों को स्थल से ले जाने के लिए तीन ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया। अभी यह कहना कठिन है कि ऑपरेशन में मारे गए नक्सलियों की सही संख्या क्या है, लेकिन यह 25-30 से कम नहीं होनी चाहिए।' हमले में 8 सीआरपीएफ कर्मी मारे गए हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस से संबद्ध जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के 8 जवान और विशेष कार्य बल (STF) के 6 जवान शहीद हुए हैं।
400 नक्सलियों ने हमला किया
छत्तीसगढ़ में हल्की मशीन गन (LMG) से लैस करीब 400 नक्सलियों के एक समूह ने विशेष अभियान के लिए तैनात सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला किया जिसमें कम से कम 22 जवान शहीद हो गए और 30 अन्य घायल हो गए। नक्सली इस दौरान सुरक्षा बलों के एक दर्जन से अधिक अत्याधुनिक हथियार लूट ले गए। सुरक्षा बलों के करीब 1,500 जवानों की एक टुकड़ी ने बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा के आसपास के क्षेत्र में नक्सलियों की मौजूदगी की गुप्त सूचना पर तलाशी और उन्हें नष्ट करने का अभियान शुरू किया था। अधिकारियों ने बताया कि इस गुप्त सूचना पर शनिवार तड़के घेराबंदी की गई थी कि नक्सली जगरगुंडा-जोंगागुड़ा-तर्रेम क्षेत्र में अपना आक्रामक अभियान शुरू कर रहे हैं। इस अभियान के लिए सुरक्षा बलों के जवानों की कुल स्वीकृत संख्या 790 थी और बाकी को सहायक के रूप में साथ लिया गया था।
भारी गोलीबारी हुई
एक अधिकारी ने कहा कि सबसे वांछित माओवादी कमांडर एवं तथाकथित 'पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर 1 के नेता ‘हिडमा’ और उसकी सहयोगी सुजाता के नेतृत्व में कम से कम 400 नक्सलियों ने उस क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला किया जिसे दुर्गम, घने जंगल और सुरक्षा बलों के शिविरों की कम संख्या के चलते नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। नक्सलियों ने सुरक्षाकर्मियों पर घात लगाकर हमला किया और उन्हें तीन तरफ से घेर लिया और उन भारी गोलाबारी की।
नक्सलियों ने इस हमले में हल्की मशीन गन (एलएमजी) से गोलियों की बौछार की और कम तीव्रता वाले आईईडी का इस्तेमाल किया और यह हमला कई घंटे जारी रहा। नक्सली शहीद हुए जवानों के लगभग दो दर्जन अत्याधुनिक हथियार भी लूट ले गए।