नई दिल्ली : देश-दुनिया में 'मेट्रो मैन' के नाम से मशहूर ई. श्रीधरन ने अपनी नई पारी की घोषणा कर दी है। उन्होंने घोषणा की है कि वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़ेंगे और अगर पार्टी राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता में आती है और पार्टी उनसे कहती है तो वह सीएम बनने के लिए तैयार हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा भी जताई है और कहा है कि राजनीति देशसेवा का एक 'आदर्श' जरिया है। उनमें अब भी देश के लिए कुछ करने का जज्बा है और वह एक टेक्नोक्रेट के मुकाबले सियासी तौर पर अधिक ऐसा कर सकते हैं।
भारत में सार्वजनिक परिवहन की पहचान बदलने वाले शख्स के तौर पर पहचाने जाने वाले श्रीधरन की 89 साल की उम्र में नई पारी के आगाज की घोषणा ने कई लोगों को हैरान कर दिया। उनकी इस पहचान में जितना योगदान दिल्ली मेट्रो परियोजना की रही है, उतना ही योगदान कोंकण रेलवे को पश्चिमी तटीय इलाकों से जोड़ने से संबंधित प्रोजेक्ट की भी रही है। फिलहाल वह दिल्ली मेट्रो के प्रमुख सलाहकार के तौर पर कार्यरत हैं और इस पद पर उनका कार्यकाल जून में पूरा होने जा रहा है। हालांकि केरल में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव की संभावना को देखते हुए ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि वह जून से पहले भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
89 साल की उम्र में नई पारी
श्रीधरन रविवार (21 फरवरी) को केरल के कासरगोड से शुरू होने जा रही बीजेपी की विजय यात्रा के दौरान औपचारिक तौर पर पार्टी से जुड़ेंगे, जो बीजेपी के केरल अध्यक्ष के सुरेंद्रन के नेतृत्व में होने जा रही है। सियासी पारी के आगाज से पहले तक श्रीधरन की पहचान एक ऐसे नौकरशाह के तौर पर रही है, जिन्हें अपने कार्यक्षेत्र में किसी तरह का हस्तक्षेप मंजूर नहीं था। तकनीक के विद्वान के रूप में करीब छह दशकों तक देश के लिए अपनी सेवाएं देने वाले श्रीधरन की पहचान किसी भी परियोजना की डेडलाइन को लेकर पाबंद रहने वाले शख्स के साथ-साथ ईमानदार अफसर की भी रही है।
दिल्ली मेट्रो परियोजना से 1997 में जुड़े श्रीधरन 80 साल की उम्र तक दिल्ली मेट्रो परियोजना से सक्रिय रूप से जुड़े रहे और ऐसे में 89 साल की उम्र में सियासी पारी के आगाज की उनकी घोषणा को हैरानी से नहीं देखा जा रहा है। वह अब भी दिल्ली मेट्रो के प्रमुख सलाहकार के तौर पर कार्यरत हैं। दिल्ली मेट्रो प्रोजेक्ट में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उन्हें 'मेट्रोमैन' कहा जाता है। लेकिन उनकी यह पहचान सिर्फ दिल्ली तक सिमटी नहीं है, बल्कि लखनऊ से लेकर कोच्चि और देश के कई अन्य शहरों में भी मेट्रो रेल नेटवर्क का खाका तैयार करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
कांग्रेस, बीजेपी सभी का रहा है समर्थन
बीजेपी के कार्यकाल में दिल्ली मेट्रो परियोजना से जुड़े श्रीधरन को उनके काम के कारण दिल्ली की आगामी कांग्रेस सरकार का भी भरपूर समर्थन हासिल रहा। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के साथ-साथ उन्हें दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों साहिब सिंह वर्मा और शीला दीक्षित का समर्थन भी हासिल रहा। कोंकण रेलवे परियोजना को बतौर इंजीनियर उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट माना जाता है, जिसने महाराष्ट्र से केरल के बीच की यात्रा को सुगम बनाया। दिल्ली मेट्रो प्रोजेक्ट पर उनके काम के बारे में कहा जाता है कि जब वह मेट्रो स्टेशन पहुंचते थे बस वहां की सीढियों को छूकर बता देते थे कि यहां बीती रात सफाई हुई या नहीं।
साल 2011 तक दिल्ली मेट्रो परियोजना के इंचार्ज रहे श्रीधरन को 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। देश के पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के साथ स्कूल में पढ़ाई कर चुके श्रीधरन 2019 में उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली मेट्रो की यात्रा महिलाओं के लिए नि:शुल्क करने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा था कि इससे मेट्रो की क्षमता प्रभावित होगी और यह दिवालिया होने की कगार पर पहुंच जाएगा। उन्होंने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था।