- रायसीना डायलॉग का आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से किया गया है
- यह रायसीना डायलॉग का पांचवां संस्करण है, जिसमें करीब 700 अंतरराष्ट्रीय भागीदार हिस्सा ले रहे हैं
- इस तीन दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ भी भारत पहुंचे हुए हैं
नई दिल्ली : 'रायसीना डायलॉग' के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर से कश्मीर, नागरिकता संशोधन विधेयक पर देशभर में हो रहे बवाल सहित कई मुद्दों पर सवाल किए गए, जिनका उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब अहम मसलों पर खामोश रहने की बजाय फैसले लेने में यकीन रखता है और आतंकवाद के खिलाफ भी इसका कड़ा रुख साफ है।
'रायसीना डायलॉग' के एक सत्र के दौरान ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख समीर सरन ने विदेश मंत्री से सवाल किया था कि जब से उन्होंने पदभार संभाला है, सरकार की ओर से कई बड़े फैसले लिए गए हैं, जिनमें कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अहम प्रावधानों को निरस्त करने के अलावे नागरिकता अधिनियम में संशोधन का फैसला भी लिया गया, जिसका देशभर में विरोध हो रहा है। आखिर विदेश दौरों पर जाते वक्त वह किस तरह इनसे जुड़े सवालों के जवाब दुनिया के देशों को देते हैं, क्योंकि ऐसे सवाल उनसे जरूर पूछे जाते होंगे।
इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, '...दुनिया की साझा चुनौतियां हैं। आतंकवाद, अलगाववाद और पलायन साझा चुनौती है। ऐसा नहीं है कि ये समस्याएं सिर्फ भारत से जुड़ी हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ये चुनौतियां व्याप्त हैं।' उन्होंने यह भी कहा, 'सवाल यह है कि क्या हम इन समस्याओं को यूं ही रहने दें, बढ़ने दें और इससे अपना पल्ला झाड़ लें या फिर कम से कम ऐसी कुछ समस्याओं से निपटने का प्रयास करें।' विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अब फैसला लेने में यकीन रखता है।
यहां उल्लेखनीय है कि 'रायसीना डायलॉग' के पांचवें संस्करण का आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से संयुक्त रूप से किया गया है, जिसमें 100 से अधिक देशों के 700 अंतरराष्ट्रीय भागीदार हिस्सा ले रहे हैं। यह इस तरह का एक बड़ा सम्मेलन है। मंगलवार को शुरू हुए इस तीन दिवसीय सम्मेलन में 12 देशों के विदेश मंत्री हिस्सा ले रहे हैं। इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ भी भारत पहुंचे हुए हैं। अमेरिका से तनाव के बीच ईरान के विदेश मंत्री के भारत दौरे को काफी अहम माना जा रहा है।