नई दिल्ली: युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव शहर से बड़ी संख्या में भारतीय विद्यार्थी और कामगार अन्य देशों के नागरिकों के साथ समूह में बुधवार को नजदीकी रेलवे की ओर मार्च कर रहे हैं और अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं। उनके हाथ में तिरंगा है। यह जानकारी वहां फंसे एक विद्यार्थी के पिता ने दी। वेंकटेश वैश्यार ने बताया, 'करीब एक हजार लोग पैदल रेलवे स्टेशन की ओर मार्च कर रहे हैं। इनमें से 700 भारतीय हैं जिन्होंने तिरंगा पकड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन उनकी बंकर से करीब सात किलोमीटर दूर है और कोई वाहन उपलब्ध नहीं है।'
अमित का चचेरा भाई 24 वर्षीय सुमन (पुत्र श्रीधर मूर्ति वैश्यार) भी उनमें शामिल है जो युद्धग्रस्त देश से लौटने का प्रयास कर रहे हैं।उल्लेखनीय है कि मंगलवार को उनके जूनियर 22 वर्षीय नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौड़ा की उस समय गोलाबारी की चपेट में आने से मौत हो गई जब वह बंकर से निकल कर खाना पानी लेने और मुद्रा बदलने गया था।वेंकटेश ने कहा, 'विद्यार्थियों के पास खतरा मोल लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि उनके पास खाना-पानी नहीं है। वे भगवान भरोसे हैं और रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ रहे हैं।'
वार जोन में जाते हुए यूक्रेनी नागरिक बोला- मैं अपने बेटे को छोड़ नहीं सकता
आंखों में आंसू लिए वेंकटेश ने बताया कि अमित उनका इकलौता बेटा है और अगर उसे कुछ हो जाता है तो वह जिंदा नहीं रह पाएंगे। इस बीच, नवीन के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौड़ा अपनी भावनाओं को उस समय नियंत्रित नहीं कर पाए जब उन्होंने अपने बेटे के शव की तस्वीर व्हाट्सऐप पर देखी जिसे खारकीव के मुर्दाघर में रखा गया है।नवीन ज्ञानगौड़ा का छोटा बेटा था जबकि बड़े बेटे हर्ष ने कृषि विज्ञान में एमएससी की है और वह माता-पिता के साथ रहता है।
"नवीन के शव को भारत लाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे"
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा कि वह नवीन के शव को भारत लाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा, 'मैं विदेश मंत्री एस जयशंकर और यूक्रेन में भारतीय दूतावास से नवीन के शव को लाने के वास्ते किए जा रहे प्रयासों की जानकारी लेने के लिए बात करूंगा। हम हरसंभव प्रयास करेंगे।' बोम्मई के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों ने खारकीव में फंसे भारतीयों, खासतौर पर विद्यार्थियों को निकालने के प्रयास तेज कर दिये हैं।नवीन के परिवार को मुआवजा देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार कुछ भी कर सकती है लेकिन इस समय प्राथमिकता शव भारत लाने की है।
बोम्मई ने कहा, 'जो भी हमारे हाथ में होगा, हम करेंगे। हम मुआवजा जरूर देंगे। परिवार पीड़ा में है। हमें सबसे पहले शव को लाना है और उसके लिए हमने कोशिशें तेज कर दी हैं।' बोम्मई ने बताया कि हावेरी का एक और अज्ञात छात्र मंगलवार को खारकीव में हुई गोलाबारी में घायल हुआ है।