- तालिबान ने जनता पर थोपने शुरू किए अजीबोगरीब फैसले
- निजी और सरकारी कॉलेजों में लड़के-लड़कियों के साथ पढ़ने पर लगाई रोक
- लड़कियों के शिक्षण संस्थानों में अब केवल महिला प्रोफसर देंगी शिक्षा
नई दिल्ली: अफगानिस्तान की सत्ता हाथ में लेते ही तालिबानियों ने अजीबो-गरीब नियम जनता पर थोपने शुरू कर दिए हैं। तालिबान ने अपना पहला फतवा जारी किया है। जिसमें हेरात प्रांत के सभी सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में लड़के-लड़कियों के साथ पढ़ने पर रोक लगा दी है। तालिबान का कहना है कि समाज में सभी बुराइयों की जड़ यही है। खामा प्रेस न्यूज एजेंसी के मुताबिक तालिबान के कमांडरों ने विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, निजी कॉलेजों के मालिकों के साथ बैठक की..जिसके बाद ये फैसला लिया गया कि अब लड़का-लड़की स्कूल और कॉलेजों में साथ नहीं पढ़ेंगे।
महिला प्रोफेसर देंगी लड़कियों को शिक्षा
तालिबान ने जो फैसला लिया है उसके मुताबिक, लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग संस्थान होंगे। तीन घंटे चली इस बैठक का प्रतिनिधित्व मुल्ला फरीद ने किया। लड़कियों के शिक्षण संस्थानों में अब केवल महिला प्रोफेसर ही छात्राओं को पढ़ा पाएंगी। अगर किसी पुरूष कॉलेज में महिला शिक्षक है तो उनको भी तत्काल प्रभाव से हटाया जाएगा..। आधिकारिक अनुमानों के अनुसार हेरात में निजी और सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में 40,000 छात्र और 2,000 लेक्चरर हैं।
को फाउंडर पहुंचा काबुल
अफगानिस्तान में सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है.।। तालिबान के को-फाउंडर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर काबुल पहुंच गया है। नई सरकार बनाने की रणनीति को लेकर तालिबान के अपने साथियों और जिहादी नेताओं से साथ मंथन कर रहा है । जानकारी के मुताबिक, तालिबान के पांच सरदार हैं जो अब अफगानिस्तान में हुकूमत चलाएंगें। इनमें सबसे पहला नाम मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का है। दूसरा है हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा और तीसरा नाम है मुल्ला मोहम्मद याकूब, चौथा नाम है सिराजुद्दीन हक्कानी और पांचवां नाम है शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई का है। ये वो पांच चेहरे हैं, जिनके इर्द-गिर्द आने वाले वक़्त में तालिबान की नई सरकार होगी।
मुल्ला गनी बरादर होगा सर्वेसर्वा
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उन चार लोगों में से एक है जिसने तालिबान का गठन किया था। वो तालिबान के फाउंडर मुल्ला उमर का डिप्टी था। 2001 में अमेरिकी हमले के वक्त वो देश का रक्षा मंत्री था। 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान ने एक ऑपरेशन में बरादर को गिरफ्तार कर लिया।उस वक्त शांति वार्ता के लिए अफगानिस्तान सरकार बरादर की रिहाई की मांग करती थी। सितंबर 2013 में उसे रिहा किया गया। उसके बाद से वो कतर में रह रहा था। मौजूदा समय में बरादर तालिबान का राजनीतिक मुखिया और समूह का सार्वजनिक चेहरा है।