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L K Advani on Ram Mandir: एक सपना था जो हो रहा है पूरा, पांच अगस्त का दिन होगा ऐतिहासिक- लालकृष्ण आडवाणी

Updated Aug 04, 2020 | 23:12 IST

Lal krishn advani on ram temple: बीजेपी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि पांच अगस्त का दिन ऐतिहासिक होगा। उस दिन हजारों लाखों लोगों की आकांक्षा जमीन पर साकार होने जा रही है।

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लाल कृष्ण आडवाणी, बीजेपी के कद्दावर नेता
मुख्य बातें
  • पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम
  • 1990 में राम मंदिर आंदोलन में तेजी आई
  • लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक निकाली रथयात्रा

नई दिल्ली। पांच अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों होना है। पांच अगस्त के दिन का जब हम जिक्र करते हैं तो बरबस 1990 का वो आंदोलन याद आता है जिसने मंदिर के लिए लाखों लोगों में ज्वार ला दिया। उसके साथ ही सोमनाथ से अयोध्या तक रथ को लेकर लालकृष्ण आडवाणी निकले तो उनके मन में यह बात कहीं न कहीं छिपी थी जिस मकसद को लेकर वो आगे आए हैं वो जरूर पूरा होगा। स्वास्थ्य वजहों से वो भूमि पूजन में सशरीर नहीं शामिल होंगे। लेकिन ट्वीट के जरिए उन्होंने अपनी भावना का उद्गार किया है।

राम राज्य की स्थापना में सहायक होगा राम मंदिर
लालकृष्ण आडवाणी कहते हैं कि  यह भी मेरा विश्वास है कि राम मंदिर सभी के लिए न्याय के साथ एक मजबूत, समृद्ध, शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण राष्ट्र के रूप में प्रतिनिधित्व करेगा और किसी को भी बाहर नहीं करेगा ताकि हम वास्तव में राम राज्य में सुशासन का प्रतीक बन सकें। श्री राम भारत की सांस्कृतिक और सभ्यता की विरासत में एक सम्मानित स्थान पर काबिज हैं और अनुग्रह, गरिमा और अलंकरण के प्रतीक हैं।

राम आंदोलन में शामिल होना प्रभु की इच्छा
लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि  यह मेरा विश्वास है कि यह मंदिर सभी भारतीयों को उनके गुणों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करेगा।मुझे लग रहा है कि राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान, नियति ने मुझे 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा के रूप में एक महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाया, जिसने अपने अनगिनत प्रतिभागियों की आकांक्षाओं, ऊर्जा और जुनून को शांत करने में मदद की।



सोमनाथ से अयोध्या तक
राम मंदिर निर्माण की अदालती लड़ाई से देश आजाद होने के पहले से शुरू हो चुकी थी। गाहे बगाहे कुछ लोग सड़कों पर आवाज उठाते थे। लेकिन एक संगठन के तौर पर जह विश्व हिंदू परिषद भारत की फलक पर आई तो तस्वीर कुछ बदली। राजनीति मैदान में बीजेपी भी अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रही थी और राम मंदिर में उसे अपने लिए मौका मिला और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के तहत राम मंदिर का एजेंडा उसके नेताओं के लिए प्रमुख मुद्दा बन गया और उसके अगुवा लालकृष्ण आडवाणी बने थे। सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा के जरिए उन्होंने बीजेपी का विस्तार देश के ज्यादातर राज्यों में किया। 

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