- 16 अगस्त से 20 अगस्त के बीच केवल पुरी के निवासियों को दर्शन की अनुमति
- पुरी के बाहर के लोगों को 23 अगस्त से प्रवेश की अनुमति दी जाएगी
- इस साल भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा के समय पुरी में कर्फ्यू लगा था
नई दिल्ली: श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने बुधवार को कहा कि 16 अगस्त से ओडिशा के पुरी स्थित मंदिर (Jagannath Puri Temple) को चरणबद्ध तरीके से दोबारा खोला जाएगा।' छत्तीस निजोग' (मंदिर के सेवादारों की सबसे बड़ी संस्था) की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद एसजेटीए के मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार ने यह घोषणा की।
उन्होंने कहा, '16 अगस्त से 20 अगस्त के बीच पहले पांच दिन में, केवल पुरी के निवासियों को मंदिर के भीतर जाकर दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी।' कुमार ने कहा कि पुरी के बाहर के लोगों को 23 अगस्त से प्रवेश की अनुमति दी जाएगी क्योंकि शनिवार और रविवार को पुरी शहर बंद रहेगा, इसलिए मंदिर भी बंद रहेगा।
गौर हो कि पिछले महीने जुलाई में पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा का उत्सव भगवान के 'नव यौवन दर्शन' के साथ शुरू हुआ था, जिसके दौरान 'अनासरा घर' में 14 दिन रहने के बाद उनकी युवावस्था की पूजा गई। उत्सव शुरू होने के मद्देनजर, राज्य सरकार ने 11 जुलाई से पुरी शहर में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की थी।
श्रद्धालु उत्सव में सीधे भाग नहीं ले सके थे
त्रिदेव- भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा 'अनासरा घर' में 14 दिन बिताने के बाद 'नव यौवन दर्शन' के दौरान प्रकट हुए। हालांकि, श्रद्धालु उत्सव में सीधे भाग नहीं ले सके थे क्योंकि महामारी के कारण किसी को भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
11 जुलाई से पुरी शहर में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की थी
उत्सव शुरू होने के मद्देनजर, राज्य सरकार ने 11 जुलाई से पुरी शहर में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की थी। रथ यात्रा से एक दिन पहले 11 जुलाई को रात आठ बजे कर्फ्यू लगाया गया था और 13 जुलाई को सुबह आठ बजे तक जारी रहा था।
पुरी को 'पुरुषोत्तम क्षेत्र' व 'श्री क्षेत्र' के नाम से भी जाना जाता है
गौर हो कि हिन्दू धर्म में चार धामों का बहुत महत्त्व है, इन्हीं में से एक धाम जगन्नाथ पुरी भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित है भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का रूप हैं "जगन्नाथ", यानी जगत के स्वामी, पुरी को 'पुरुषोत्तम क्षेत्र' व 'श्री क्षेत्र' के नाम से भी जाना जाता है वहीं पुरी में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थल है भगवान जगन्नाथ का मंदिर जहां वह अपने दाऊ बलभद्र जी और बहन सुभद्रा जी के साथ विराजमान हैं।