- पुरी में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव शुरू हुआ
- रथ यात्रा से एक दिन पहले 11 जुलाई को रात आठ बजे कर्फ्यू लगाया जाएगा
- उत्सव शुरू होने के मद्देनजर, राज्य सरकार ने 11 जुलाई से पुरी शहर में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की
नई दिल्ली: पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा का उत्सव शुक्रवार को भगवान के 'नव यौवन दर्शन' के साथ शुरू हो गया, जिसके दौरान 'अनासरा घर' में 14 दिन रहने के बाद उनकी युवावस्था की पूजा की जाती है। उत्सव शुरू होने के मद्देनजर, राज्य सरकार ने 11 जुलाई से पुरी शहर में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की।
त्रिदेव- भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा 'अनासरा घर' में 14 दिन बिताने के बाद 'नव यौवन दर्शन' के दौरान प्रकट हुए। हालांकि, श्रद्धालु उत्सव में सीधे भाग नहीं ले सकेंगे क्योंकि महामारी के कारण किसी को भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है।
11 जुलाई से पुरी में कर्फ्यू
उत्सव शुरू होने के मद्देनजर, राज्य सरकार ने 11 जुलाई से पुरी शहर में कर्फ्यू लगाने की घोषणा की। विशेष राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, रथ यात्रा से एक दिन पहले 11 जुलाई को रात आठ बजे कर्फ्यू लगाया जाएगा और 13 जुलाई को सुबह आठ बजे तक जारी रहेगा।इस साल, रथ यात्रा 12 जुलाई को होगी।
सख्त पाबंदी और कोविड गाइडलाइंस को होगा पालन
अधिकारियों ने बताया कि पुरी शहर के सभी प्रवेश बिंदुओं को सील कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर भक्तों को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं।उप-जिलाधिकारी भबतारण साहू ने कहा कि शहर में प्रतिबंधों को और बढ़ाया जा सकता है।अधिसूचना के अनुसार, 16 जुलाई तक उच्च संक्रमण दर वाले 10 तटीय जिलों में लगाए गए सप्ताहांत बंद में पुरी शहर में प्रतिबंधों में कुछ ढील दी
क्या है भगवान जगन्नाथ का नव यौवन दर्शन
जैसा कि नाम से स्पष्ट है भगवान के नए रुप का दर्शन। भगवान बीमार थे और अब वह स्वस्थ हो गए है। अर्थात उनके नव यौवन रुप के दर्शन हो रहे हैं।भगवान श्री जगन्नाथ के नव यौवन दर्शन रथ यात्रा से पहले की परंपरा है। इसे स्थानीय भाषा में अणसर कहा जाता है। इस दौरान भगवान की गुप्त नीति अनुष्ठित होती है।
भगवान भक्तों को नवयौवन वेश में दर्शन देते हैं। भगवान के इस इसे दर्शन को नेत्रोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि अणवसर गृह में इलाज के बाद भगवान स्वस्थ हो जाते हैं और अपने भक्तों को नवयौवन वेश में दर्शन देते हैं। लेकिन इस बार यह अलग इसलिए है क्योंकि कोविड की वजह से सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस और पाबंदियों की वजह से भगवान के इस रुप का दर्शन मंदिर प्रशासन से जुड़े लोग और सेवक ही कर पाए।
छत से भी देखने की मनाही
ओडिशा सरकार ने शनिवार को कहा कि इस साल वार्षिक रथयात्रा उत्सव श्रद्धालुओं की भीड़ के बगैर ही होगा और उन्हें रथ के मार्ग में छतों से भी रस्म देखने की अनुमति नहीं होगी। प्रशासन ने अपने फैसले की समीक्षा की है और रथयात्रा का दृश्य घरों एवं होटलों की छतों से देखने पर भी पाबंदी लगा दी गयी है।
12 जुलाई से रथयात्रा शुरू होगी
उन्होंने कहा कि 12 जुलाई को होने वाले इस उत्सव से एक दिन पहले पुरी शहर में कर्फ्यू लगाया जाएगा जो अगले दिन दोपहर तक प्रभाव में रहेगा। वर्मा ने कहा कि भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ का यह उत्सव कोविड-19 महामारी के चलते लगातार दूसरे वर्ष बिना श्रद्धालुओं की भागीदारी के मनाया जा रहा है।
राज्य सरकार ने लोगों से उत्सव के दौरान पुरी नहीं जाने और टीवी पर रथ यात्रा का सीधा प्रसारण देखने की अपील की है। आमतौर पर रथ यात्रा के दौरान पुरी में लगभग 10 लाख लोग इकट्ठा होते हैं। लेकिन इस साल कोर्ट की गाइडलांइस की वजह से कोविड के मद्देनजर सिर्फ मंदिर प्रशासन और सेवकों को ही रथयात्रा में शामिल होने की अनुमति है।