नई दिल्ली: हर साल ओडिशा के पुरी में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से 'जगन्नाथ पुरी रथयात्रा' (Jagannath Puri Rath Yatra 2021) का आयोजन होता है, भगवान श्री जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी रथ में बैठकर अपनी मौसी के घर, तीन किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर जाते हैं लाखों लोग रथ खींच कर तीनों को वहां ले जाते हैं। फिर आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तीनों वापस अपने स्थान पर आते हैं। रथयात्रा को देखने के लिए लाखों लोग देश-विदेश से पुरी आते हैं लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते ऐसा नहीं होगा।
गौर हो कि हिन्दू धर्म में चार धामों का बहुत महत्त्व है, इन्हीं में से एक धाम जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri) भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित है भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का रूप हैं "जगन्नाथ", यानी जगत के स्वामी, पुरी को 'पुरुषोत्तम क्षेत्र' व 'श्री क्षेत्र' के नाम से भी जाना जाता है वहीं पुरी में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थल है भगवान जगन्नाथ का मंदिर (Lord Jagganath Temple) जहां वह अपने दाऊ बलभद्र जी और बहन सुभद्रा जी के साथ विराजमान हैं।
"जगन्नाथ पुरी रथयात्रा" से जुड़ी अहम बातों और यहां की खासियतों पर डाल लें एक नजर-
भगवान जगन्नाथ के लिए जगन्नाथ मंदिर में 752 चूल्हों पर खाना बनता है इसे 'दुनिया की सबसे बड़ी रसोई' का दर्जा हासिल है रथयात्रा के नौ दिन यहां के चूल्हों पर भोजन नहीं बनता है वहीं गुंडिचा मंदिर में भी 752 चूल्हों की ही रसोई है इस उत्सव के दौरान भगवान के लिए 'भोग' यहीं बनता है।