श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास नौशेरा में हुए एक विस्फोट में सेना के दो जवान शहीद हो गए हैं। सेना के जवान नियंत्रण रेखा के पास कलाल इलाके में गश्त लगा रहे थे, जब एक जोरदार विस्फोट हुआ। इस विस्फोट में भारतीय सेना के दो जवानों की जान चली गई। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि यह विस्फोट किन कारणों से हुआ।
विस्फोट में लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार और सिपाही मंजीत सिंह शहीद हो गए। लेफ्टिनेंट ऋषि कुमार बिहार में बेगूसराय के रहने वाले थे, जबकि सिपाही मंजीत सिंह पंजाब में बठिंडा के सिरवेवाला के रहने वाले थे। सेना की ओर से जारी बयान में ड्यूटी के दौरान देश के लिए सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें सैल्यूट करते हुए सैन्य अधिकारियों ने उनके परिजनों के प्रति संवेदना जताई है।
हालांकि धमाके की वजह एक्सप्लोसिव डिवाइस को बताया जा रहा है, पर यह स्पष्ट नहीं है कि एक्सप्लोसिव डिवाइस वहां जानबूझकर साजिशन रखी गई थी, जहां सेना के जवान गश्त कर रहे थे या ये पहले से वहां पड़ा हुआ था। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच चुकी है। फॉरेंसिक अधिकारियों की टीम भी घटनास्थल पर पहुंची हुई है।
सुरक्षा बलों ने चलाया व्यापक तलाशी अभियान
जम्मू कश्मीर में LoC के जरिये भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की लगातार हो रही कोशिशों के बीच नौशेरा सेक्टर में हुए इस विस्फोट को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही है। जम्मू कश्मीर में तैनात सेना व सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट कर दिया गया है। यह विस्फोट ऐसे समय में हुआ है, जबकि सुरक्षा बलों ने यहां जंगलों में छिपे आतंकियों की धरपकड़ के लिए व्यापक अभियान चलाया है।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी जिले के जंगलों में यह अभियान बीते करीब तीन सप्ताह से जारी है। शनिवार को इस व्यापक तलाशी अभियान का 20वां दिन रहा। अधिकारियों के मुताबिक, यह बीते कई वर्षों में सबसे लंबे समय तक चलने वाला तलाशी अभियान है, जिस दौरान अब तक दो अलग-अलग हमलों में नौ सैनिक शहीद हुए हैं।
मेंढर के भट्टी दरियां के साथ राजौरी जिले के थानामंडी और पुंछ के सुरनकोट के समीप के जंगलों में आतंकवादियों की धरपकड़ को लेकर सघन तलाशी अभियान 11 अक्टूबर को शुरू हुआ था। बताया जा रहा है कि आतंकी जंगल के घने पत्तों, प्राकृतिक गुफाओं और दुर्गम इलाकों का लाभ उठाकर जंगल में छिपे हुए हैं या फिर तलाशी दल की आहट पाकर वहां से भाग रहे हैं।