- विकास दुबे एनकाउंटर की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली समिति करेगी
- कानपुर शूटआउट केस के मुख्य आरोपी गैंस्टर विकास दूबे को पुलिस ने 10 जुलाई को एनकाउंटर में मार गिराया था
- इससे पहले कानपुर के बिकरु गांव में पुलिस पर हुए हमले में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे
नई दिल्ली : कानपुर शूटआउट केस के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दूबे के एनकाउंटर मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली एक समिति करेगी। जस्टिस चौहान का नाम सुप्रीम कोर्ट ने सुझाया था, जिन्होंने उन्होंने इस मामले की जांच करने वाली समिति का हिस्सा बनने के लिए अपनी सहमति दे दी है। विकास दूबे को इंदौर से कानपुर लाया जा रहा था, जब यूपी पुलिस ने एक मुठभेड़ के दौरान उसे मार गिराया गया था।
'विस्तृत हो जांच का दायरा'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानपुर के बिकरु गांव में दो जुलाई को विकास दुबे के घर दबिश के लिए गई पुलिस पर हमला व उसमें 8 पुलिसकर्मियों की शहादत और फिर विकास दुबे की गिरफ्तारी व मुठभेड़ में उसकी मौत की घटनाओं पर समिति को गौर करना होगा। कोर्ट ने कहा, 'जांच समिति द्वारा की जाने वाली जांच का दायरा काफी विस्तृत होना चाहिए। हम जांच समिति के हाथ बांधने के पक्ष में नहीं हैं। यह समझदारी नहीं है कि इसके लिए किसी तरह का संदर्भ दिया जाए।'
इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता यूपी सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया कि समिति उन परिस्थितियों की भी जांच करेगी, जिनके तहत दुबे को जमानत पर रिहा किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह ऑब्जर्वेशन
इससे पहले 20 जुलाई को चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि शीर्ष अदालत के किसी मौजूदा न्यायाधीश को इसमें नहीं लगाया जा सकता। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि वह इस मामले की जांच के लिए समिति में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और एक रिटायर्ड पुलिस अधकारी के शामिल होने पर विचार करे।
यहां उल्लेखनीय है कि बिकरु गांव में पुलिस पर फायरिंग के मुख्य आरोपी विकास दुबे को 9 जुलाई को मध्य प्रदेश पुलिस ने उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के बाहर से गिरफ्तार किया था। बाद में उसे उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया गया। 10 जुलाई को एनकाउंटर में पुलिस ने उसे मार गिराया था। पुलिस का कहना है कि दुबे को लेकर आ रहे वाहनों के काफिले में से वह वाहन पलट गया था, जिसमें गैंगस्टर बैठा हुआ था। एक्सीडेंट के बाद वह जख्मी पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर भागने की कोशिश करने लगा। इस दौरान उसे सरेंडर करने के लिए कहा गया, लेकिन उसने पुलिसकर्मियों पर बंदूक तान दी, जिसके बाद उन्होंने आत्मरक्षा में गोली चलाई और विकास दुबे मारा गया।