- चीन ने देपसांग में भारत के अहम पेट्रोलिंग प्वाइंट्स पर सैनिकों को जाने से रोका
- देपसांग इलाका रणनीतिक रूप से माना जाता है बेहद अहम
- भारत ने मई माह से ही यहां तैनात किए हैं 6 हजार से अधिक सैनिक
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जब संसद में चीन के साथ चल रहे तनाव पर बयान दिया तो उसमें लद्दाख में रणनीतिक रूप से बेहद अहम देपसांग का कोई जिक्र नहीं था। यह वही इलाका है चीनी सैनिकों द्वारा अप्रैल से भारतीय सैनिकों के पेट्रोलिंग दस्ते को रोका जा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, जब इस संबंध में एक पुराने रक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह एक पुराना विवाद की पुरानी जगह है जिसे पेंगोंग झील, चुशूल, गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स और गलवान घाटी में इस वर्ष खुले संघर्ष के नए मोर्चों के साथ नहीं मिलाना चाहिए।
ध्यान भटकाना चाह रहा है चीन?
अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'देपसांग में फिलहाल कोई सैन्य टकराव नहीं हुआ है जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर भारत तथा चीन के अलग-अलग दावे रहे हैं। लेकिन यहां जमीनी हालात को बदलने का कोई ऐसा प्रयास फिलहाल नहीं हुआ है।' लेकिन सुरक्षा हलकों में इस बात की चिंता बढ़ रही है कि चीन पंगोंग त्सो-चुशुल और अन्य क्षेत्रों में अपने आक्रामक युद्धाभ्यास के माध्यम से लद्दाख की सीमा के साथ लगे बेहद महत्वपूर्ण देपसांग क्षेत्र से भारत का ध्यान हटाना चाहता है।
यहां डेरा डाले हुए हैं चीनी सैनिक
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) पिछले पांच महीनों से भारतीय सैनिकों को देपसांग में उनके पारंपरिक पैट्रोलिंग पॉइंट्स 10, 11, 11A, 12 और 13 पर जाने से रोक रही है, ये वो इलाके हैं जहां भारत का अपना दावा है। पीएलए सैनिक देपसांग में A बॉटलनेक या 'वाई-जंक्शन’ क्षेत्र के पास डेरा डाले हुए हैं। भारत के अनुसार यहां से 18 किमी आगे तक अपनी सीमा आती है। वहीं चीन इस इलाके के 972 वर्ग किलोमीटर के इलाके पर अपना दावा करता रहा है। जब भी भारतीय दल यहां आ रहे हैं तो चीनी सैनिक उन्हें रोक रहे हैं।
चीन की मुख्य चिंता
वहीं बीजिंग के लिए एक मुख्य चिंता यह है कि देपसांग-दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर उसके पश्चिमी राजमार्ग जी -219 के करीब है, जो तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र को शिंजियांग से जोड़ता है। पीएल ने यहां एलएसी के पास करीब 12 हजार सैनकों को टैंकों तथा आर्टिलरी गैनों के साथ तैनात कर रखा है। वहीं भारत ने मई से ही यहां अतिरिक्त सैन्य बटालियन तैनात की हुई जिसमें करीब 6 हजार सैनिक शामिल हैं।ये सभी 16000 हजार फीट की ऊंचाई पर हैं जहां से दौलत बेग ओल्टी सेक्टर के साथ- साथ अहम और उत्तर में स्थित संवेदनशील काराकोरम दर्रे तक पहुंच आसान है।
भारत के लिए ये है मुख्य चिंता
एक अधिकारी ने बताया, ', "भारत, चीन के हाथों खेल रहा है जो देपसांग को दक्षिणी छोर की तरफ विवाद की जगह काट देने की फिराक में है ताकि उसे मनमानी का मौका मिल सके। पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा के विपरीत, एलएसी पर अपना दावा बरकरार रखने के लिए पेट्रोलिंग प्वाइंट्स पर गश्त करना जरूरी हो गया क्योंकि वहां सैनिकों की स्थायी तैनाती संभव नही है। लेकिन देपसांग स्थित हमारे ही पेट्रोलिंग प्वाइंट में हमें जाने से रोका जा रहा है।'