- गृह मंत्रालय ने कहा कि ट्रेन और बसों के आवागमन को लेकर और अधिक स्पष्टता हो
- एमएचए का निर्देश-प्रवासी मजदूरों के लिए और ट्रेनें चलाए जाने की मांग करें राज्य
- सरकार ने माना कि आवागमन पर स्पष्टता न होने के चलते मजदूरों की मुश्किलें बढ़ीं
नई दिल्ली : प्रवासी मजदूरों के ट्रेन एवं बसों से आवागमन को लेकर जारी अनिश्चितता पर गृह मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश जारी किया है। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों से कहा कि ट्रेनों के आवागमन को लेकर प्रवासी मजदूरों में अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसे में राज्यों को रेल मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित करते हुए मजदूरों के लिए और स्पेशल ट्रेनें चलाई जानी चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि यातायात संबंधी भी अफवाहें भी प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं।
राज्यों को जारी अपने निर्देश में एमएचए ने कहा कि ट्रेन और बसों के परिचालन पर स्पष्टता न होने और अफवाहों के चलते प्रवासी मजदूरों में असंतोष फैल रहा है। मंत्रालय ने कहा है, 'राज्य प्रवासी मजदूरों के लिए और स्पेशल ट्रेनें चलाने की मांग करें। इसके लिए उन्हें रेलवे के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए।' मंत्रालय ने आगे कहा है कि ट्रेन और बसों के खुलने के समय पर और अधिक स्पष्टता होनी चाहिए।
रेलवे किसी भी जिले से ट्रेन चलाने को तैयार
सरकार ने लॉकडाउन के दौरान देश अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को निकालने के लिए राज्यों को बसें चलाने की छूट दी है। राज्यों की मांग पर रेलवे प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष श्रमिक ट्रेनें चला रहा है। रेल मंत्री पीयूष गोयल कह चुके हैं कि रेलवे देश के किसी भी जिले से ट्रेन चलाने के लिए तैयार है। रेलवे का कहना है कि गत 15 मई की आधी रात तक उसकी ओर से 1074 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं और इन ट्रेनों के जरिए बीते 15 दिनों में 14 लाख से ज्यादा लोगों को उनके गंतव्य पर पहुंचाया जा चुका है।
यूपी-बिहार के लिए चलीं सर्वाधिक ट्रेनें
श्रमिक ट्रेनें चलाए जाने की खबर पाकर अलग-अलग शहरों में फंसे प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं। राज्य सरकारों ने अपने प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पोर्टल शुरू किया। राज्यों द्वारा मिली सूची के अनुसार रेलवे प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य भेज रहा है। रेलवे का कहना है कि अभी तक उसने यूपी और बिहार के लिए सर्वाधिक श्रमिक ट्रेनें चलाई हैं। रेल मंत्री ने कहा कि सबसे कम ट्रेनें पश्चिम बंगाल के लिए चली हैं।