- बड़वानी एसडीएम की कार में प्रवासी मजदूर ने नवजात को दिया जन्म
- मौके पर एसडीएम की कार को क्लिनिक के तौर पर किया गया इस्तेमाल
- गुजरात से मध्य प्रदेश की तरफ आए थे प्रवासी मजदूर
नई दिल्ली। कोरोना काल में एक तरफ निराश करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं तो दूसरी तरफ जोश और जज्बे की तस्वीरें भी सामने आ रही है। किसने सोचा होगा कि ट्राली बैग का इस्तेमाल एक साधन के तौर पर हो सकता है। यह बात सच है कि मजदूरों के सामने अनेकों चुनौतियां है। लेकिन उन्हीं चुनौतियों के बीच सरकारी तंत्र का सकारात्मक चेहरा भी सामने आया। अगर ऐसा न होता तो प्रशासनिक अमले के एक अधिकारी की कार में मजदूर महिला ने बच्चे को जन्म न दिया होता।
एसडीएम की कार में गूंजी किलकारी
बड़वानी एसडीएम की कार में एक प्रवासी मजदूर के बच्चे की किलकारियां गूंजी। इस सिलसिले में ड़ किशोर मुकाती का कहना है कि गुजरात से आने वाले मजदूरों की स्क्रीनिंग के लिए गए थे। जिस समय वो लोग वहां पहुंचे एक महिला प्रवासी मजदूर को प्रसव पीड़ा हुई और एसडीएम की कार में प्रसव प्रक्रिया को संपन्न कराया गया।
'पैदल चलने के अलावा कोई और विकल्प नहीं'
लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर राज्यों में उद्योग धंधे बंद हैं और मजदूरों के सामने कोई काम नहीं है। मजदूर कहते हैं कि जब तक उनके पास राशन इत्यादि था वो किसी तरह से गुजर बसर कर रहे थे। लेकिन जब उनके सामने कोई रास्ता नहीं बचा तो घर जाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था। सरकार जितने दावे कर रही है वो जमीन पर नजर नहीं आ रहा है ऐसे में उन लोगों के सामने पैदल चलने ते अलावा और कोई रास्ता नहीं है। प्रशासन की तरफ से कहा जा रहा है कि थोड़ा धैर्य बना कर रखें। लेकिन धैर्य की भी कोई सीमा होती है।