- मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर गहराया संकट
- राज्यपाल से मिले पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह, स्पीकर को हटाए जाने की मांग
- विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला को सौंपा
नई दिल्ली : मणिपुर में नौ विधायकों का समर्थन वापस लिए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर संकट मंडराने लगा है। इस बीच कांग्रेस ने गुरुवार को सरकार बनाने का दावा पेश कर राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता इबोबी सिंह ने कहा कि कांग्रेस के सभी विधायक पार्टी के साथ हैं। कांग्रेस ने विधानसभा के स्पीकर को भी हटाने की मांग की है।
कांग्रेस की विशेष सत्र बुलाने की मांग
इबोबी सिंह ने राज्य की गवर्नर नजमा हेपतुल्ला से मुलाकात कर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने और अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने की मांग की है। समझा जा रहा है कि विधायकों का समर्थन वापस लिए जाने के बाद राज्य की बीरेन सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई है। इबोबी सिंह ने टीएमसी, एनपीपी और निर्दलीय विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा है। इन दलों ने मिलकर सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) नाम से एक नई पार्टी बनाई है। कांग्रेस के 12 विधायकों ने स्पीकर युमनाम खेमचंद को उनके पद से हटाने के लिए मणिपुर विधानसभा के सचिव को नोटिस सौंपा है।
इबोबी सिंह ने विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा
अपने पत्र में इबोबी सिंह ने कहा है कि मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 20 है और मणिपुर हाई कोर्ट ने उसके सात विधायकों को विधानसभा सदन में प्रवेश करने पर रोक लगा दी है। पत्र के मुताबिक, 'मौजूदा सरकार को अभी केवल 23 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इनमें भाजपा के 18 विधायक, चार एनपीएफ और एक विधायक एलजेएसपी से है। जबकि एसपीएफ के पास कांग्रेस के 20 विधायकों, चार एनपीपी, एक टीएमसी और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन प्राप्त है। विधानसभा में सदस्यों की संख्या 49 है जबकि एसपीएफ के पास कुल 26 विधायकों का समर्थन है।
स्पीकर को हटाने की मांग
विधानसभा अध्यक्ष खेमचंद को हटाने की मांग करते हुए कांग्रेस ने कहा कि वह अधिनयाकवादी तरीके से आचरण कर रहे हैं और उनका आचरण सदन की स्थापित परंपराओं और प्रक्रियाओं के खिलाफ है।