नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि अगर तब्लीगी जमात के आयोजन से कोरोना वायरस नहीं फैला होता तो लॉकडाउन के तीसरे चरण की जरूरत नहीं होती। उन्होंने कहा कि सभी मुसलमानों को तब्लीगी जमात के लोगों की आपराधिक लापरवाही' के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए। इस आयोजन के कारण कोरोना वायरस देश के सभी हिस्सों में फैल गया।
हिन्दी न्यूज चैनल 'आज तक' से उन्होंने कहा, 'उनका (तब्लीगी जमात का) अपराध सभी मुसलमानों का अपराध नहीं है। उन्होंने जो किया उसे कानून से दंडित किया जाएगा। शायद हमें लॉकडाउन 3.0 की आवश्यकता नहीं होती अगर ऐसी आपराधिक लापरवाही नहीं हुई होती और एक संगठन की गलती के कारण देशव्यापी प्रसार नहीं होता।'
कई मुस्लिम हस्तियों ने कहा कि कोविड-19 महामारी और निजामुद्दीन मरकज घटना का इस्तेमाल देश में इस्लामोफोबिया फैलाने के लिए किया गया। इस पर नकवी के कहा कि ये शिकायतें तथ्यों पर आधारित नहीं हैं, बल्कि देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब करने का प्रयास हैं। कुछ लोग भय का वातावरण बना रहे हैं और इसका उपयोग कर अशांति फैला रहे हैं।
नकवी शुरू से ही तब्लीगी जमात के लोगों पर हमलावर रहे हैं। पहले जब ये खबर आई कि प्लाज्मा थेरेपी के लिए वो तमाम लोग अब आगे आ रहे हैं जो कोरोना को मात दे चुके हैं और इसमें तब्लीगी जमात के लोग भी शामिल हैं तो उन्होंने कहा, 'बेशक कुछ राष्ट्रभक्त मुसलमानों ने जरूरतमंदों को प्लाज्मा दिया है पर उन्हें तब्लीगी कहना ठीक नहीं। हर हिंदुस्तानी मुसलमान को तब्लीगी साबित करने की "सुनियोजित घटिया तब्लीगी साजिश" है।'
आपको बता दें कि देश में कोरोनो के बढ़ते मामलों में अधिकांश संख्या तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों और उनके संपर्क में आने वाले लोगों की है। कई जगहों पर तब्लीगी जमात के सदस्यों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों पर अपमानजक व्यवहार करने की खबरें भी सामने आती रही हैं।