- लोकसभा में पक्ष और विपक्ष में कृषि कानूनों पर बहस पर नहीं बन पा रही है सहमति
- किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस अलग से चर्चा कराना चाहती है
- 8 फरवरी को पीएम राष्ट्रपति के अभिभाषण पर दे सकते हैं जवाब
नई दिल्ली। किसान आंदोलन और कृषि कानूनों के संबंध में राज्यसभा में चर्चा हो रही है। लेकिन लोकसभा में अड़चन इस बात पर बनी हुई है कि कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर चर्चा राष्ट्रपति के अभिभाषण के प्रस्ताव के साथ कराई जाए या इसके लिए अलग से समय मुकर्रर हो। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि हम लोग इस विषय पर अलग से बहल करना चाहते हैं।
कांग्रेस क्यों अलग से चाहती है बहस
हमने किसानों के आंदोलन पर लोकसभा में एक अलग चर्चा के लिए सरकार से आग्रह किया है। राष्ट्रपति के अभिभाषण के मोशन ऑफ थैंक्स में सभी प्रकार की बातों पर चर्चा की गई है। हमारी एकमात्र मांग यह है कि मोशन ऑफ थैंक्स के बाद किसानों के मुद्दे पर अलग से चर्चा की जाए।राष्ट्रपति के अभिभाषण के मोशन ऑफ थैंक्स में सभी प्रकार की बातों पर चर्चा की गई है। हमारी एकमात्र मांग यह है कि मोशन ऑफ थैंक्स के बाद किसानों के मुद्दे पर अलग से चर्चा की जाए।
सरकार आसानी से छुड़ाना चाहती है पीछा
विपक्ष का कहना है कि सरकार इस वजह से कृषि कानून पर अलग से बहस नहीं चाहती क्योंकि सरकार को पता है कि वो किसानों के मुद्दे पर एक्सपोज हो जाएगी। सरकार की कोशिश है कि मोशन ऑफ थैंक्स में ही इस मुद्दे को ले लिया जाए क्योंकि बहुत से विषयों पर बोलने की बाध्यता होने की वजह से सरकार आसानी से जवाब देते हुए निकल जाएगी। जानकार कहते हैं कि मोशन ऑफ थैंक्स का समय नियत है और उसमें कई विषय जुड़े होते हैं इसलिए अलग अलग दल के सदस्य अलग अलग विषयों पर बोलते हैं तो वैसी सूरत में विपक्षी दलों को विशिष्ट तौर बोलने का मौका नहीं मिलेगा।