नई दिल्ली: पेगासस जासूसी मामले में सरकार ने बड़ा बयान दिया है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से राज्यसभा में कहा गया है कि NSO ग्रुप के साथ कोई लेन-देन नहीं हुआ है। इस मामले पर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है। विपक्ष लगातार सवाल पूछ रहा है कि क्या सरकार ने एनएसओ से पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा था, जिसके माध्यम से कई विपक्षी नेताओं समेत कई पत्रकारों की कथित जासूसी की गई। NSO समूह पहले ही कह चुका है कि वो इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ सरकारों को देता है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने दावा किया था कि इजराइल की कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर के जरिए भारत के 300 से ज्यादा मोबाइल नंबर उस संभावित सूची में थे, जिनकी जासूसी किए जाने का संदेह है। इस सूची में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और अश्विनी वैष्णव, कारोबारी अनिल अंबानी समेत कम से कम 40 पत्रकार भी थे। विपक्ष की मांग है कि संसद में इस पर चर्चा हो और निष्पक्ष, पारदर्शी और गहन जांच हो।
वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि सरकार या इसकी एजेंसियां इसकी खरीद न करें तथा केंद्र को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि उसने कथित जासूसी मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट ने भी गुरुवार को कहा कि पेगासस के बारे में अगर रिपोर्ट सही है तो इससे संबंधित जासूसी के आरोप 'गंभीर प्रकृति के' हैं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इजराइली स्पाइवेयर मामले की जांच के अनुरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या उन्होंने इस बारे में आपराधिक शिकायत दर्ज करने का कोई प्रयास किया है।