- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, राम मंदिर निर्माण कार्य अगले तीन वर्षों में पूरा हो जाएगा
- उन्होंने यह भी बताया कि निर्माण इस तरह किया जाएगा कि यह अगले 1000 वर्षों तक बिना किसी नुकसान के खड़ा रहेगा
- मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह पर उन्होंने कहा कि पैसे पर किसी धर्म का नाम नहीं लिखा होता, हर कोई योगदान दे सकता है
नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन का कार्यक्रम संपन्न होने के बाद अब लोगों जेहन में सवाल उठ रहे हैं कि मंदिर निर्माण कार्य आखिर कब तक पूरा हो सकेगा और लोग कब तब वहां अपने अराध्य की पूजा-अर्चना कर सकेंगे। इस बारे में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर निर्माण कार्य अगले लगभग 36 से 40 महीनों यानी करीब तीन वर्षों में पूरा हो जाएगा और निर्माण कुछ इस तरह किया जाएगा कि यह अगले 1000 वर्षों तक बिना किसी नुकसान के खड़ा रहेगा।
कम से कम 1,000 वर्षों तक नहीं होगा नुकसान
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी लार्सन एंड ट्रूबो कंपनी को सौंपी गई है और कंपनी इसके लिए आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर काम कर रही है। फिलहाल मिट्टी, पानी एवं अन्य प्रभावों का आकलन किया जा रहा है। मंदिर निर्माण में इस तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा कि इसे हवा, सूर्य की रोशनी और पानी से अगले कम से कम 1,000 वर्षों तक किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। निर्माण कंपनी ने इसके लिए योग्यतम लोगों को अपने साथ जोड़ा है।
आईआईटी मद्रास से ली जा रही मदद
राम मंदिर निर्माण के लिए जहां आईआईटी मद्रास की मदद ली जा रही है, वहीं केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) यह सुनिश्चित करेगा कि मंदिर पर भूकंप आदि से कोई प्रभाव न पड़े। उन्होंनेन लोगों से मंदिर निर्माण के लिए कॉपर स्ट्रिप दान करने की अपील भी की और कहा कि निर्माण में इसके इस्तेमाल से मंदिर अधिक समय तक बिना किसी क्षति के खड़ा रह सकेगा। इसके लिए कम से कम 10,000 कॉपर स्ट्रिप्स और रॉड की आवश्यकता होगी, जो करीब 18 इंच लंबा, 3 मिमी मोटा और 30 मिमी चौड़ा होना चाहिए।
मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में चंपत राय ने कहा कि इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई है और कोई भी इसमें योगदान दे सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पैसे पर किसी धर्म का नाम नहीं लिखा होता। इसके लिए हर कोई योगदान दे सकता है।