- ममता बनर्जी की चोट का ड्रामा शानदार था लेकिन स्क्रिप्ट कमजोर निकली
- मतदाताओं को डराने और धमकाने की कोशिश नाकाम होगी, जनता ने बदलाव का मन बनाया
- सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए बंगाल के मानस को बांटने की कोशिश हुई
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दलों को आठ चरणों में इम्तिहान देना है जिसके नतीजे 2 मई को सामने आएंगे। इस चुनावी समर में हर एक दल यानी टीएमसी, बीजेपी के साथ साथ लेफ्ट और कांग्रेस का गठबंधन सरकार में आने का दावा कर रहा है। लेकिन जमीन पर मुकाबला टीएमसी और बीजेपी में है। बीजेपी का दावा है कि वो 200 से ज्यादा सीटें जीतकर ममता बनर्जी के 10 वर्ष के कुशासन को उखाड़ फेंकेगी तो टीएमसी का कहना है कि बीजेपी के दावे हवा हवाई हैं और वो एक बार राज्य की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। इन सबके बीच Times Now के साप्ताहिक कार्यक्रम फ्रैंकली स्पीकिंग में पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने बेबाकी से राय रखी।
ममता को चोट, ड्रामा शानदार, स्क्रिप्ट कमजोर
यहां, यह घटना एक ऐसे व्यक्ति के साथ हुई है, जिसके पास जेड प्लस सुरक्षा है। जहां तक मुझे पता है, सड़क पर एक लोहे का पोल था, वाहन ने पोल को टक्कर मार दी और वह (ममता बनर्जी) चोटिल हो गई। लेकिन जिस तरह से इस घटना पर पूरे बंगाल में प्रदर्शन किया गया उससे आप समझ सकते हैं कि वास्तविकता क्या हो सकती है। वो खुद गृह विभाग को देखती हैं अगर उनके साथ ऐसा कुछ हुआ भी हो तो चिंता की बात है। इसलिए हमने सीबीआई जांच की मांग की।
विचारधारा से जुड़ी पार्टी है बीजेपी
हमारे नेता विचारधारा के अनुसार हैं। वे सभी वर्गों के आम लोग हैं। उन्हें किसी भी पार्टी में शामिल होने और लोगों के लिए काम करने का लोकतांत्रिक अधिकार है। हम उन्हें केवल एक अवसर देते हैं। बीजेपी कभी किसी नेता पर दबाव नहीं डालती है। जो लोग भी बीजेपी का हिस्सा बने उन्होंने समझा और परखा और उसके बाद फैसला किया।
बीजेपी नेताओं पर हमला, आम लोगों को डराने की कोशिश
चूंकि अभिषेक बनर्जी के निर्वाचन क्षेत्र में जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हुआ था, इसलिए उनके ऊपर दोष का आरोप लगाया गया था। उनके मंत्री गियासुद्दीन मोल्ला लोगों का नेतृत्व कर रहे थे। बंगाल के अलग अलग हिस्सों में बीजेपी के नेताओं को टारगेट किया गया है और उसके पीछे मकसद आम लोगों को डराना था कि अगर वो टीएमसी के खिलाफ जाएंगे तो उनके साथ क्या होगा। लेकिन बंगाल की जनता अब ममता राज के कुशासन से बाहर निकलना चाहती है।
'इस दफा बदलाव निश्चित'
ममता बनर्जी ने पिछले 2-3 महीनों में राज्य भर में कई पुलिसकर्मियों को स्थानांतरित किया है। शायद वह जानती थी कि चुनाव आयोग भी ऐसा कर सकता है, इसलिए वह तैयारी कर रही थी। दरअसल टीएमसी को समझ में आ चुका है जनमानस अब उसके खिलाफ है, लिहाजा वो जीत हासिल करने के लिए उनके शीर्ष नेतृत्व ने कवायद शुरू कर दी। लेकिन बीजेपी का स्पष्ट मत और कोशिश दोनों है कि बंगाल के लोग बिना किसी डर और भय के अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें।