नई दिल्ली: अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु से बड़ी खबर आ रही है। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की विश्वासपात्र वीके शशिकला ने घोषणा की है कि वह सक्रिय राजनीति से खुद को दूर कर रही हैं। एक बयान जारी करते हुए शशिकला ने बुधवार को कहा, 'मैंने कभी सत्ता या किसी पद के लिए लक्ष्य नहीं रखा।' वीके शशिकला का कहना है कि वह सार्वजनिक जीवन छोड़ रही हैं। उन्होंने कहा है कि एआईएडीएमके कैडर एकजुट हो और आगामी विधानसभा चुनावों में डीएमके को हराया जाए। वी के शशिकला ने कहा, 'वह राजनीति से दूर रहेंगी। दिवंगत जयललिता के सुनहरे राज के लिए प्रार्थना करेंगी। शशिकला ने जयललिता के सभी सच्चे समर्थकों से साझे दुश्मन द्रमुक को विधानसभा चुनावों में सत्ता में आने से रोकने और तमिलनाडु में अम्मा के सुनहरे शासन को सुनिश्चित करने को कहा।
AMMK के नेता और शशिकला के रिश्तेदार टीटीवी दीनाकरण ने कहा कि मैं उनके फैसले से दुखी हूं। मैंने उन्हें ऐसा निर्णय नहीं लेने से रोकने की पूरी कोशिश की। मैं कोशिश जारी रखूंगा। यह मेरे लिए झटका नहीं है। एएमएमके मेरे नेतृत्व में यह चुनाव लड़ेगी।
2017 में जयललिता के निधन के बाद शशिकला को AIADMK के अंतरिम महासचिव के रूप में पदोन्नत किया गया था, लेकिन संपत्ति मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए अपने वफादार के पलानीस्वामी को चुना। बाद में, पलानीस्वामी ने ओ पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व वाले अपने प्रतिद्वंद्वी गुट के साथ हाथ मिलाया, जो अब शशिकला की अनुपस्थिति में उप मुख्यमंत्री हैं और दोनों समूहों का विलय कर दिया गया। शशिकला और उनके भतीजे को 2017 में AIADMK से बाहर कर दिया गया था।
4 साल की जेल की सजा काटी
शशिकला कुछ महीने पहले ही आय से अधिक मामले में चार साल की जेल की सजा पूरी करने के बाद बाहर आई थीं। इसी के बाद उन्हें लेकर कयास लगने शुरू हो गए थे। करीब तीन दशकों तक तमिलनाडु की राजनीति को करीब से देखने वालीं शशिकला की जयललिता की सरकार में 'नंबर दो' की हैसियत रही। उनके जेल से बाहर आने के बाद इस बात कि चर्चा शुरू हो गई कि क्या वह ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम (AIADMK) पर अपना नियंत्रण दोबारा पाने का प्रयास करेंगी।
AIADMK से किया गया था निष्कासित
शशिकला की शख्सियत ऐसी है कि तमिलनाडु के लोग उन्हें पसंद करते हैं। यह उनके व्यक्तित्व का आकर्षण ही है जिसके चलते उन्हें 'चिनम्मा' बुलाते हैं। राज्य की सियासत पर नजर रखने वाले लोग मानते हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में शशिकला भले ही जेल गई हों लेकिन राज्य में उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है। शशिकला को एआईएडीएमके से निष्कासित किया गया था।
जयललिता जब बीमार थीं या उनके निधन के बाद सरकार के कामकाज की बागडोर शशिकला के हाथों में रही। पार्टी का नेतृत्व और सरकार की कमान संभालते हुए शशिकला ने एआईएडीएमके में अपना कद और मजबूत किया।