नई दिल्ली: अफगानिस्तान के हालातों पर विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार अफगानिस्तान में सभी घटनाक्रमों पर करीब से नजर रख रही है। पिछले कुछ दिनों में काबुल में सुरक्षा स्थिति काफी खराब हो गई है, यह तेजी से बदल रही है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि हम जानते हैं कि अफगानिस्तान में कुछ भारतीय नागरिक हैं, जो वापस लौटना चाहते हैं और हम उनके संपर्क में हैं। हम अफगान सिख, हिंदू समुदायों के प्रतिनिधियों के संपर्क में हैं। उन लोगों को मदद उपलब्ध कराई जाएगी, जो अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं।
उन्होंने बताया, 'काबुल हवाई अड्डे से उड़ानों का वाणिज्यिक संचालन स्थगित है। प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए उड़ानों के फिर से शुरू होने का इंतजार है। अफगानिस्तान में भारतीय नागरिकों और हमारे हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार सभी कदम उठाएगी। हमने आपातकालीन संपर्क नंबर प्रसारित किए थे और समुदाय के सदस्यों को सहायता भी प्रदान कर रहे थे।'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि कई अफगान भी हैं जो हमारे पारस्परिक विकास, शैक्षिक और लोगों से लोगों के प्रयासों को बढ़ावा देने में हमारे भागीदार रहे हैं। हम उनके साथ खड़े रहेंगे।'
सरकार की प्राथमिकता अफगानिस्तान में फंसे लगभग 200 भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाना है। इनमें भारतीय दूतावास के कर्मी और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि भारत ने दो दिनों से कई सी-17 ग्लोबमास्टर सैन्य परिवहन विमान तैयार रखे हैं। अपुष्ट खबरों के मुताबिक भारत ने एक सी-17 ग्लोबमास्टर विमान अफगानिस्तान भेजा था लेकिन वह सोमवार को वापस लौट आया। राजधानी काबुल में बिगड़ते सुरक्षा हालात के मद्देनजर भारतीयों को हवाई अड्डे तक लाना भी चुनौती है। भारत आफगानिस्तान का एक प्रमुख साझेदार रहा है और वहां लगभग 500 विभिन्न परियोजनाओं के लिए उसने लगभग तीन अरब अमेरिकी डॉलर का वहां निवेश किया है। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा करना भारत के लिए झटका माना जा रहा है क्योंकि तालिबान को पाकिस्तानी सेना का समर्थन हासिल है।