- देशभर में कोरोना के अब तक कुल 492 मामले, 9 लोगों की हो चुकी है मौत
- केंद्रशासित प्रदेशों समेत राज्यों के 548 जिलों में लॉकडाउन
- लॉकडाउन की वजह से खाद्यान्न में किसी तरह की कमी न हो दिया जा रहा है खास ध्यान
नई दिल्ली। देश और दुनिया दोनों 21वीं सदी के सबसे बड़े संकट का सामना कर रहे हैं। कोरोना के संक्रमण से करीब 192 देश जुझ रहे हैं। कोरोना की वजह से पूरी दुनिया में करीब 16 हजार लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें भारत के 9 लोग शामिल है। भारत के लिए फिलहाल राहत की बात यह है कि अभी कोरोना दूसरे चरण में हैं और यह आगे और न बढ़े इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से तमाम इंतजाम किए गए हैं। अलग अलग सरकारों ने साफ कर दिया है कि लॉकडाउन की स्थिति में किसी को भी खाने की कमी नहीं होगी।
खाद्यान्न के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार सजग
केंद्र सरकार ने भी राज्यों को तीन महीने के अनाज को उधारी पर देने का फैसला किया है ताकि किसी तरह की दिक्कत न हो। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देश में 435 लाख टन खाद्यान्न सरप्लस है जिसमें 272.19 लाख टन चावल और 162.79 लाख टन गेहूं है। सरकार इस समय हर एक लाभार्थी को पीडीएस के तहत पांच किलो खाद्यान्न देती है। कोरोना को देखते हुए बिहार सरकार ने एक महीने का खाद्यान्न मुफ्त में और इसके साथ दिल्ली सरकार और यूपी सरकार की भी तरफ से इंतजाम किए गए हैं।
बीपीएल और एपीएल किसी को नहीं होगी खाने की कमी
बीपीएल और एपीएल श्रेणी के लोगों को पहले दो महीने का खाद्यान्न लेने की अनुमति थी। लेकिन अब सरकार ने 6 महीने का खाद्यान्न उठाने की अनुमति दी है। इससे उन लोगों को फायदा मिलेगा जिनकी माली हालत खराब होती है, या लॉकडाउन जैसे कदमों से हर एक दिन काम मिल पाने की दिक्कत होगी। देश की करीह तीन चौथाई आबादी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सुविधा उठाती है।