- राजस्थान में कैबिनेट विस्तार को लेकर तेज हुई कोशिशें
- कैबिनेट विस्तार से पहले गहलोत और पायलट ने इशारों ही इशारों में साधा निशाना
- पायलट समर्थक लगातार कर हैं उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग
जयपुर: गहलोत और सचिन पायलट के इशारों ही इशारों वाले बयान अब राजनीति में कुछ और ही इशारा कर रहे हैं 2 अक्टूबर को एक तरफ जहां अशोक गहलोत ने बयान दिया उसी का प्रत्युत्तर माना जा रहा है कल सचिन पायलट का टोंक में उत्तर प्रदेश के लिए दिया गया बयान। इतना ही नहीं बल्कि अब पायलट समर्थक विधायक भी पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की बात करने लगे हैं। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि मंत्रिमंडल विस्तार का फाइनल काउंटडाउन शुरू हो गया है, श्राद्ध पक्ष का आज आखिरी दिन है, नवरात्र में आ मंत्रिमंडल फेरबदल की खबरें भी आ सकती है।
दशहरे से पहले शब्दबाण हुए तेज
इस बीच दशहरे से पहले ही दिग्गजों के शब्दबाण चल रहे हैं। इसे पायलट का इशारों ही इशारों में किया गया पलटवार माना जा रहा है। पायलट ने कहा कि 'हमेशा कोई पद पर नहीं रहता, लोगों में आ जाता है यह घमंड कि जीवन के अंतिम पड़ाव तक रहेंगे सत्ता में, जो की गलत है , यह जनता है जनता जब पल्टी मारती है तो सत्ताएं पलट जाती है।
पायलट को सीएम बनाने की दावेदारी
पायलट गुट के विधायक गाहे-बगाहे सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की दावेदारी करते रहे हैं उनके बयान भी आते रहे हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से पायलट समर्थक विधायकों ने चुप्पी भले ही शादी थी लेकिन मन की बात को अभी भी नहीं छुपा पा रहे हैं निवाई के विधायक प्रशांत बैरवा ने आज इस चुप्पी को तोड़ते हुए कहा क्यों नहीं पायलट मुख्यमंत्री बन सकते।
गुटबाजी जारी
बता दें कि इससे पहले 2 अक्टूबर को सीएम गहलोत ने कहा था कि 'अगले 15-20 साल मुझे कुछ नहीं हो रहा किसी को दुखी होना होतो हो' बहरहाल, बयानों के तीर चल ही रहे थे कि up का लखीमपुरखीरी का मामला सामने आ गया। अब दोनों नेता आलाकमान की अपनी अपनी ताक़त दिखाने की कोशिश में हैं। पायलट गुट की बात करें तो खुद पायलट up में है और गहलोत गुट भरतपुर से लखीमपुरखीरी पैदल मार्च का राग अलापने लग गया है।