भीलवाड़ा : राजस्थान के भीलवाड़ा से सरकार के शिक्षा अभियान और विकास की पोल खोलती तस्वीरें आई हैं, जो ये बताने के लिए काफी है कि कुर्सी की लड़ाई में जनता के हित और विकास किस तरह मझधार में झूल रहे हैं। यहां छोटे-छोटे बच्चे जान की बाजी लगाकर नाव में बैठकर स्कूल जाने को मजबूर हैं।
मामला राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर उपखंड में बांकरा ग्राम पंचायत का है, जहां सरकारी स्कूल में सात गांवों के 34 विद्यार्थी अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ने पहुंचते हैं। इतना ही नहीं, उन्हें जुगाड़ की इस नाव तक पहुंचने के लिए पहले तीन किलोमीटर तक कीचड़ में पैदल चलना होता है, फिर पानी में पैर धोकर नाव की सवारी करनी होती है। 80 फीसदी ग्रामीणों की जमीन भी नदी के उस पार है, जहां जाने के लिए यही एक साधन है।
मजबूरी की नाव
नाव भी जुगाड़ की है और सुरक्षा के भी कोई एहतियातन प्रबंध नहीं हैं। स्कूल जाने का एक यही रास्ता है तो फिर क्या किया जाए। मजबूरी है क्योंकि बिना पढाई के यही सरकार रोजगार से वंचित कर देगी। शिक्षा मंत्री डोटासरा अपनी शिक्षा पद्धति की ढपली बजाते बजाते नहीं थकते तो वहीं ग्रामीण विकास के लिए भी सरकार के करोड़ों के विज्ञापन यहां-वहां चस्पा मिल ही जाते हैं, लेकिन विकास यहां पानी में आकंठ डूबा है और तैर रही है मजबूरी की नाव।
इतना ही नहीं, इन सात गांवों के लोगों को भी अपने काम से ग्राम पंचायत बांकरा तक जाना है तो यही एक रास्ता है। बाकरा विद्यालय में आने के लिये बाघ की झुपड़िया, हर्षलो की जोपड़िया, मेलवा, भीमपुरा, बागरथल, केसरपुरा, 7 गावों के 34 विद्यार्थी रोजाना जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने पहुंच रहे हैं। हादसे को आमंत्रण देती ये तस्वीरें तमाम सराकीर दावों को मुह चिढ़ाती है, जो चुनाव में वादों की नाव में सवार होकर जनता के घर-घर पहुंचे थे।