- राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत विधानसभा सत्र बुलाने की कर रहे हैं मांग
- राज्यपाल कलराज मिश्रा बोले, नोटिस के लिए 21 दिन का समय जरूरी
- कांग्रेस अब राज्यपाल पर पक्षपात का लगा रही है आरोप
जयपुर। राजस्थान की सियासत का सबसे दिलचस्प पक्ष यह है कि गहलोत सरकार के पास संख्या बल है और वो फ्लोर टेस्ट कराना चाहते हैं। लेकिन इस शब्द का जिक्र गवर्नर को लिखे खत में नहीं करते हैं। गहलोत कैबिनेट की तीन बार बैठक हो चुकी है।एक बार फिर राजस्थान सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा गया। लेकिन राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने से इंकार कर दिया है।
राज्यपाल का कहना है कि विधानसभा सत्र बुलाने से पहले 21 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त जिन वजहों को आधार बनाकर सत्र बुलाने की बात कही जा रही है उसमें तत्काल ऐसा करने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही सरकार ने यह भी नहीं बताया है कि कोविड 19 की वजह से वो किस तरह से व्यवस्था करेगी।
विधानसभा सत्र बुलाए जाने के सवाल पर कांग्रेस का कहना है कि कैबिनेट के प्रस्ताव पर जिस तरह से राज्यपाल की प्रतिक्रिया सामने आ रही है उससे एक बात साफ है कि वो निष्पक्ष नहीं है। वो नई दिल्ली के इशारे पर काम कर रहे हैं। यहां यह जानना जरूरी है कि राज्यपाल को हटाए जाने के संबंध में राजस्थान हाईकोर्ट में अर्जी लगाई गई है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राज्यपाल का व्यवहार संविधान संगत नहीं है। ऐसा लग रहा है कि वो खुद एक पार्टी बनकर राजस्थान सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में जुट गए हैं।