- केंद्र सरकार ने किसानों से एक बार फिर बातचीत की अपील की
- किसान आंदोलन के 30वें दिन किसान संगठन दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं
- किसानों की मांग कि सरकार पहले कृषि कानूनों को समाप्त करे
जयपुर। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों पर किसानों के 40 संगठनों को ऐतराज है तो इसके साथ ही राजनीतिक दल भी केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। इन सबके बीच पीएम मोदी मे किसान सम्मान निधि की सातवीं किस्त जारी किया और एक सवाल पूछा कि क्या कोई मंडी बंद हुई है। उन्होंने कहा कि अन्नदाताओं के मुद्दों पर सरकार संवेदनशील है। लेकिन कांग्रेस का आरोप कुछ और ही है। गुरुवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 2 करोड़ किसानों की दस्तखत को राष्ट्रपति को सौंप कर दखल देने की अपील की। इन सबके बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने निशाना साधा।
राष्ट्रपति पर बहुत दबाव है
पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पुदुचेरी के सीएम ने राष्ट्रपति से मिलने का अनुरोध किया था। राष्ट्रपति को इतने दबाव में होना चाहिए कि चार मुख्यमंत्री उनसे मिलना चाहते थे लेकिन वह उनसे नहीं मिल सके। यह मेरी धारणा है। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार का अड़ियल रवैया समझ के बाहर है।
किसानों से बातचीत में घबराते हैं पीएम मोदी
प्रदर्शनकारी किसानों के साथ आमने-सामने बात करने की हिम्मत मोदी जी में नहीं है। किसानों के बैंक खातों में 18,000 करोड़ रुपये सीधे हस्तांतरित होने की बात सरकार करती है। लेकिन, मैं यह कहना चाहता हूं कि बिचौलिए अभी भी मौजूद हैं और पूरी राशि किसानों तक नहीं पहुंचती है। लेकिश रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि PM समेत हम सब किसानों से अपील करना चाहते हैं कि बैठिए हर क़ानून पर हमारे साथ चर्चा कीजिए। मैंने तो यह भी अनुरोध किया है कि आप कृषि विशेषज्ञों को लाना चाहते हैं तो उन्हें भी लेकर आइए। यह सरकार बातचीत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।